कानपुर,7 मई 2025:
कानपुर की रात एक नई सुबह का इंतजार कर रही थी, लेकिन इससे पहले ही आई एक खबर ने पूरे शहर को जगा दिया। भारतीय सेना ने देर रात पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया, और यह सुनते ही शहरवासियों के दिलों में गर्व, आंखों में आंसू और जुबां पर ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज उठे। ये सिर्फ हमले नहीं थे, ये शहीदों की चिताओं से उठी पुकार का जवाब था, और सबसे बड़ा इंसाफ था उस लाल के लिए, जिसने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी — कानपुर का सपूत, शुभम द्विवेदी।
शुभम की शहादत से टूटे हुए उनके परिजन आज पहली बार मुस्कराए होंगे। उनके चाचा मनोज द्विवेदी ने भावुक होकर कहा, “ऑपरेशन सिंदूर हमारे बेटे की शहादत और हमारी बहू के माथे से मिटे सिंदूर का जवाब है।” वहीं शुभम की पत्नी ऐशान्या की आंखों में अब डर नहीं, एक अडिग संकल्प था। उन्होंने कहा, “मेरा संदेश आतंकियों को है… तुमने सोचा था कि हमारे सिंदूर मिटाकर हम टूट जाएंगी, पर अब जान लो कि हमारे प्रधानमंत्री हमारे अभिभावक हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने हमें बताया कि हम अकेले नहीं हैं।”
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी गले लगाकर रोए
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी शुभम के घर पहुंचे और ऐशान्या को गले लगाकर खूब रोए। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ शुभम का बदला नहीं, उन 26 निर्दोष लोगों का बदला है, जिनकी जिंदगी आतंकियों ने छीन ली थी। हमारी सेना ने उन अड्डों को तबाह कर दिया।”
आज कानपुर की हवाओं में गर्व तैर रहा है, क्योंकि इस शहर के एक बेटे की कुर्बानी को देश ने भुलाया नहीं। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक जवाब है कि भारत अपने वीरों को कभी अकेला नहीं छोड़ता। यह एक चेतावनी है, उन सभी के लिए जो इस देश की तरफ आंख उठाकर देखते हैं — कि भारत अब सिर्फ सहता नहीं, जवाब देता है।