जयपुर, 16 मई 2025
जयपुर में एक मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हुई, यह घटना ऐसी थी कि जिसने भी इसे सुना उसे यही लगा कि क्या कोई बेटा ऐसा भी हो सकता है। दरअसल यहा पर एक व्यक्ति ने अपनी मां की चांदी की चूड़ियों के हिस्से को लेकर उनके अंतिम संस्कार में करीब दो घंटे की देरी की। बेटा अपनी मां के आभूषण पाने की जिद पर अड़ा रहा और फिर चिता पर लेट गया। गांव वालों और रिश्तेदारों ने उसे बार-बार समझाने की कोशिश की, लेकिन सब बेकार रहा। अपनी मांग पूरी होने के बाद ही वह चिता से उतरा। उक्त घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।
जानकारी अनुसार भूरी देवी सात बच्चों की मां थी। छह बेटे एक साथ रहते थे, जबकि ओमप्रकाश गांव से बाहर अलग रहता था। ग्रामीणों के अनुसार छह भाइयों और ओमप्रकाश के बीच पिछले तीन-चार सालों से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था।
3 मई को दोपहर के समय भूरी देवी का निधन हो गया। घर पर अनुष्ठान करने के बाद, और भूरी देवी के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से पहले, उनके आभूषण उतारकर बड़े बेटे गिरधारी को सौंप दिए गए। यह घटना दो घंटे तक चली अफरा-तफरी का कारण बनी।
ओमप्रकाश समेत तीनों भाइयों ने मिलकर अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया। लेकिन श्मशान घाट पहुंचते ही ओमप्रकाश अपनी मां के चांदी के जेवर मांगने लगा। बहस तब और बढ़ गई जब ओमप्रकाश ने अचानक लकड़ी के लट्ठों पर लेटकर दाह संस्कार करने से मना कर दिया। विरोध जताते हुए उसने परिवार से यह भी आग्रह किया कि उसे भी उसकी मां के साथ ही जला दिया जाए।
“मैं अपनी मां के साथ मरूंगा,” उन्होंने चिता पर लेटते हुए कहा, और हिलने से इनकार कर दिया। इस बीच, उनकी मां का शव गुलाबी साड़ी में लिपटा हुआ, अंतिम संस्कार के इंतजार में जमीन पर पड़ा रहा। वीडियो में बाद में दोनों भाई अपनी मां के शव को चिता के पास पकड़े हुए ओमप्रकाश के हटने का इंतजार करते नजर आते हैं। यह गतिरोध लगभग दो घंटे तक चलता रहा, जब तक कि आभूषण श्मशान घाट पर नहीं लाये गये और ओमप्रकाश को नहीं सौंप दिये गये। भूरी देवी के पति चित्रमल की दो साल पहले मृत्यु हो गई थी। ओमप्रकाश सात भाइयों में पांचवें नंबर पर हैं।इस मामले में कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं किया गया है।