
श्रीनगर | 17 मई 2025
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर तुलबुल नौवहन परियोजना को लेकर घमासान मचा है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस परियोजना को फिर से शुरू करने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के फैसले पर सवाल उठाए हैं, जबकि उमर इसे केंद्र शासित प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए जरूरी बता रहे हैं।
तुलबुल परियोजना, जिसे वुलर बैराज भी कहा जाता है, जम्मू-कश्मीर की वुलर झील के आउटलेट पर स्थित एक लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है। इसका उद्देश्य झेलम नदी में सर्दियों के दौरान नौवहन को बनाए रखना है। यह परियोजना 1987 में पाकिस्तान के विरोध के चलते रोक दी गई थी, जो इसे सिंधु जल संधि के उल्लंघन के रूप में देखता था।
हालांकि, हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने IWT (इंडस वाटर ट्रीटी) की समीक्षा की है और इसके निलंबन के बाद अब यह परियोजना फिर से पटरी पर लौट रही है।
मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ फेलो उत्तम सिन्हा ने कहा कि 40 साल से यह परियोजना रुकी हुई है, जबकि यह पूरी तरह सिंधु जल संधि के दायरे में है और इसका कार्यान्वयन कश्मीर के विकास के लिए अहम साबित हो सकता है।
पूर्व जल आयोग अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा के अनुसार, यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण, जल संरक्षण, और वर्षभर नौवहन की सुविधा के साथ-साथ जलविद्युत उत्पादन में भी योगदान दे सकती है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे झेलम नदी में न्यूनतम जल स्तर बना रहेगा, जिससे खेती, व्यापार, और परिवहन में सुधार आएगा।
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद अब विशेषज्ञों और सरकार दोनों की राय इस बात पर एकजुट हो रही है कि तुलबुल परियोजना को बिना और देर किए लागू किया जाए, ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को लंबे समय बाद विकास की नई दिशा मिल सके।