लखनऊ, 28 मई 2025:
यूपी के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में प्रदेश के बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों द्वारा 29 मई से शुरू किए जाने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। हालांकि, इस दिन निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने के साथ आंदोलन जारी रखने की बात कही गई है।
यह निर्णय पॉवर कॉर्पोरेशन की ओर से सख्त रुख अपनाने और इसे हड़ताल की श्रेणी में मानकर कार्रवाई करने के बाद लिया गया। कर्मचारियों पर कार्रवाई की चेतावनी के बाद रणनीति में यह परिवर्तन किया गया है। लखनऊ में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स की बैठक में तय किया गया कि 29 मई से बिजली कर्मी प्रबंधन के साथ पूर्ण असहयोग आंदोलन चलाएंगे, लेकिन उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार निजीकरण की दिशा में कोई भी कदम उठाती है या टेंडर नोटिस प्रकाशित करती है, तो उत्तर प्रदेश समेत देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरेंगे।
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि आंदोलन पिछले 181 दिनों से जारी है। अब किसानों एवं अन्य उपभोक्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है। वर्तमान में प्रबंधन निजीकरण के लिए टेंडर जारी नहीं कर पाया है। भीषण गर्मी को देखते हुए उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कार्य बहिष्कार को टालने का फैसला लिया गया है। समिति ने दावा किया कि मंगलवार शाम को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अभियंताओं ने हिस्सा नहीं लिया, जिसके बाद प्रबंधन ने वेतन और समयबद्ध वेतनमान में कटौती की धमकी दी है। इससे बिजली निगमों में औद्योगिक अशांति का माहौल है।
इसके बावजूद जिलों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन पूर्ववत जारी रहेगा। यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई होती है, तो कर्मचारी सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे। बैठक में संजय चौहान, जितेंद्र गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेंद्र राय, पीके दीक्षित, सुहेल आबिद, चंद्रभूषण उपाध्याय सहित कई कर्मचारी नेता मौजूद रहे।