अंशुल मौर्य
वाराणसी,2 जून 2025:
गर्मी का मौसम, और आम का जिक्र… अगर आप बनारस में हैं और आम का जिक्र न हो? ये तो जैसे बिना मिठाई के त्योहार मनाना हो!
दशहरी, लंगड़ा और चौसा जैसे देसी आम यहां की शान हैं, जिनका स्वाद बचपन की यादों से लेकर चूल्हे की कहानियों तक फैला है। लेकिन इस बार, आम के इस पारंपरिक मेला-मुशायरे में एक नया मेहमान आया है—जापानी मिज़ाज वाला, दिल धड़काने वाला, और जेब हिला देने वाला आम… मियाज़ाकी।
सुनकर हैरानी होगी कि वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक में एक छोटा सा गांव है, जहां दिसंबर 2021 में इस शाही आम का पहला पौधा लगा। और अब? …. अब वहीं के राम और कृष्ण नाम के दो किसान, इस “सोने के फल” की दिन-रात सेवा में जुटे हैं। इसकी कीमत सुनकर आपकी प्याली की चाय छलक जाए—1.5 से 2.5 लाख रुपये प्रति किलो! जी हां, एक किलो आम और एक नई बाइक—दोनों एक बराबर के सौदे!
मियाज़ाकी सिर्फ आम नहीं, आमों की मर्सिडीज है। हर फल दो किलो तक भारी, गहरा लाल रंग, और स्वाद ऐसा कि जीभ पर टिक जाए। लेकिन इसकी देखभाल बच्चों जैसे नहीं, किसी राजकुमार जैसे होती है। CCTV कैमरे, सिक्योरिटी गार्ड्स, और खेती के हर स्टेप पर बारीकी से निगरानी। आखिर इतनी महंगी मिठास की हिफाज़त भी तो खास होनी चाहिए!
ये आम सिर्फ दिखावे का नहीं है, इसमें सेहत का भी तड़का है। पौष्टिकता से भरपूर, और स्वाद में भरपूर—मियाज़ाकी अब सिर्फ जापान की पहचान नहीं, बनारस की भी नयी कहानी बन गया है। फिलहाल तो वाराणसी के दो पेड़ों पर ये शाही आम लहरा रहे हैं, लेकिन जल्द ही इसकी खुशबू देश के कोने-कोने में पहुंचेगी।
तो अगली बार जब आप बनारस की गलियों में लंगड़ा मांगें, तो एक बार पूछ लीजिए—“भैया, मियाज़ाकी मिलेगा क्या?” कौन जाने, अगर जेब मजबूत हो, तो आपकी थाली में भी ये शाही स्वाद उतर आए!