अंशुल मौर्य
वाराणसी, 16 जून 2025
प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू द्वारा सूतक न मानने के बयान पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बापू के इस कथन पर सवाल उठाया कि निम्बार्क सम्प्रदाय में मृत्यु पर सूतक नहीं माना जाता।
उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार राजा, ब्रह्मचारी और यति को छोड़कर सभी गृहस्थों को सूतक का पालन करना आवश्यक है। शंकराचार्य ने बापू से आग्रह किया कि वे अपने कथन को वैदिक प्रमाणों के साथ स्पष्ट करें और शास्त्रीय आधार प्रस्तुत करें।
बापू की ‘मानस सिन्दूर’ कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी धर्मपत्नी का सिन्दूर धारण करना विवाह की मर्यादा का प्रतीक था, जिसे सूतक न मानकर खंडित किया गया है। उन्होंने यह भी चेताया कि जनप्रिय व्यक्तियों का शास्त्र विरुद्ध आचरण समाज में गलत संदेश फैलाता है।
शंकराचार्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यदि संचालन धार्मिक व्यक्तियों के हाथ में होता, तो शास्त्र विरुद्ध घटनाएं न होतीं। उन्होंने मंदिर में शुद्धिकरण न होने पर चिंता जताई और इसे श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा मुद्दा बताया। अंत में उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति की आलोचना नहीं, बल्कि शास्त्रों की मर्यादा की रक्षा करना है।