
नई दिल्ली, 21 जून 2025:
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर यह जानना जरूरी है कि योग भारत से निकलकर विश्व मंच पर कैसे पहुंचा। इसके पीछे उन महान भारतीय योग गुरुओं की दशकों की तपस्या और प्रचार-प्रसार है, जिन्होंने न सिर्फ योग को आत्मिक साधना के रूप में अपनाया, बल्कि इसकी वैज्ञानिकता और उपयोगिता को दुनिया को समझाया।
स्वामी विवेकानंद ने सबसे पहले राज योग को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने महर्षि पतंजलि के योगसूत्र को आधुनिक भाषा में समझाकर पश्चिमी दुनिया में योग का प्रचार किया। विवेकानंद की पुस्तक राजयोग आज भी विश्वभर में योग का अध्ययन करने वालों के लिए एक अहम ग्रंथ है।
तिरुमलाई कृष्णामाचार्य, जिन्हें आधुनिक योग का जनक कहा जाता है, उन्होंने हिमालय में योग की गहराइयों को आत्मसात कर हठ योग को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनकी शिक्षा और लेखन ने योग को केवल साधना नहीं, बल्कि जीवनशैली के रूप में प्रस्तुत किया।
बी.के.एस. अयंगर ने ‘अयंगर योग’ की आधारशिला रखी और दुनिया के कई देशों में इसकी शाखाएं स्थापित कीं। उनका जोर आसनों की शुद्धता और शरीर की बनावट पर रहा। वर्ष 1975 में उन्होंने योग विद्या संस्थान की स्थापना की, जिससे आधुनिक समय में लाखों लोग लाभान्वित हुए।
महर्षि महेश योगी ने ध्यान को सरल बनाकर पूरी दुनिया में भावातीत ध्यान (Transcendental Meditation) का प्रचार किया। उनके अनुसार मानसिक शांति और तनावमुक्त जीवन योग से ही संभव है।
इसके अलावा परमहंस योगानंद, पट्टाभि जोइस, स्वामी राम और बाबा रामदेव जैसे कई योग गुरुओं ने भी अपनी शैली और शिक्षाओं से योग को घर-घर तक पहुंचाया।
इन गुरुओं के योगदान के कारण ही आज विश्वभर में योग दिवस मनाया जा रहा है और लाखों लोग भारत की इस अमूल्य धरोहर से जुड़ रहे हैं। भारतीय योग अब केवल आसनों का अभ्यास नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और शांति का संदेश बन चुका है।






