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National

WBCS में हिंदी-उर्दू को मिली मान्यता पर बवाल, बांग्ला को अनिवार्य बनाने की मांग तेज

mahi rajput
Last updated: June 30, 2025 10:41 am
mahi rajput 3 months ago
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कोलकाता, 30 जून 2025 —
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले भाषा को लेकर नया विवाद सामने आया है। राज्य सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (WBCS) परीक्षा में हिंदी और उर्दू को मान्यता प्राप्त भाषा घोषित किए जाने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। ‘बांग्ला पोक्खो’ नामक संगठन ने रविवार को कोलकाता में इस फैसले के खिलाफ रैली निकाली और बंगाली भाषा को अनिवार्य किए जाने की मांग की।

संगठन के महासचिव गार्गा चट्टोपाध्याय ने कहा कि यदि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं में स्थानीय भाषा अनिवार्य हो सकती है, तो बंगाल में भी ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 300 अंकों के बंगाली भाषा के पेपर को अनिवार्य नहीं किया गया, तो 2026 से पहले राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

रैली रवींद्र सदन एक्साइड क्रॉसिंग से शुरू होकर हाजरा मोड़ तक निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में बंगाली भाषा समर्थक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राज्य में स्थानीय भाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए और हिंदी-उर्दू को इस तरह मान्यता देना अनुचित है।

उधर, ममता सरकार ने नेपाली भाषा को भी WBCS परीक्षा के वैकल्पिक विषयों में शामिल कर लिया है। 17 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, नेपाली को उन 38 वैकल्पिक विषयों की सूची में जोड़ा गया है जिन्हें उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए चुन सकते हैं। यह कदम दार्जिलिंग के गोरखा समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले भी हिंदी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, अरबी, पाली, फारसी, फ्रेंच, संथाली जैसी भाषाएं वैकल्पिक विषयों के रूप में मौजूद थीं। अब नेपाली को शामिल कर राज्य सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों के छात्रों को राहत दी है।

हालांकि, राजनीतिक जानकार इसे आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम मान रहे हैं, जो राज्य में भाषा आधारित राजनीति को और उभार सकता है।

TAGGED:demands to make Bengali compulsoryHindi-Urdu recognized in WBCS
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