
छतरपुर (मध्यप्रदेश), 4 जुलाई 2025:
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां आज तक कोई बल्ब नहीं जल पाया। यहां भगवान शिव के एक प्राचीन मंदिर में जब भी बिजली का बल्ब जलाने की कोशिश की जाती है, वह तुरंत फ्यूज हो जाता है। इसी कारण यह मंदिर केवल दीये की रोशनी और सूर्य की प्राकृतिक प्रकाश से ही जगमगाता है।
यह मंदिर बागेश्वर धाम परिसर में परिक्रमा मार्ग पर स्थित है और इसे ‘बागराज महाराज’ के नाम से जाना जाता है। मंदिर का इतिहास करीब 300 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि पहले यहां घना जंगल था और अक्सर बाघों का आना-जाना होता था, इसलिए भगवान शिव को ‘बागराज’ कहा गया।
स्थानीय श्रद्धालुओं की मानें तो इस मंदिर को एक तपस्वी संत, जिन्हें संन्यासी बाबा कहा जाता था, ने अपनी साधना से सिद्ध किया था। वे इसी मंदिर में शिवलिंग की पूजा करते थे और कहते हैं कि उन्होंने यहीं कई सिद्धियाँ प्राप्त की थीं।
1986 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, लेकिन तब से लेकर आज तक मंदिर में बल्ब लगाने के कई प्रयास असफल रहे हैं। हर बार बल्ब जलाने पर वह तुरंत फ्यूज हो जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान इस कृत्रिम रोशनी को स्वीकार नहीं करते, इसलिए मंदिर में केवल श्रद्धा का दिया ही जलता है।
आज भी संन्यासी बाबा मंदिर में आकर जल चढ़ाते हैं और पूजा करते हैं। भक्तों का विश्वास है कि यहां मांगी गई मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। बागेश्वर धाम के बालाजी दर्शन करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में भी विशेष श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं।
डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और लोक विश्वास पर आधारित है।