लखनऊ/बलरामपुर, 7 जुलाई 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ में एटीएस द्वारा दो दिन पूर्व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और अवैध धर्मांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बलरामपुर निवासी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के बारे में बड़े खुलासे हुए हैं। जांच में सामने आया है कि छांगुर ने तहसील और न्यायालय के कुछ कर्मचारियों से मिलीभगत कर बलरामपुर जनपद की उतरौला तहसील में एक सरकारी तालाब को अपने नाम करवा लिया था। साथ ही उसने पुणे में 16 करोड़ की एक संपत्ति खरीदी, जिसमें न्यायालय में तैनात लिपिक राजेश उपाध्याय की पत्नी संगीता को साझेदार बनाया गया। एग्रीमेंट में संगीता को जमीन के लाभ में हिस्सा देने का उल्लेख है।
एटीएस के मुताबिक अनुसूचित जाति की दो महिलाओं संचित और मालती देवी ने जब इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया, तो छांगुर ने न्यायालय के आदेश के आधार पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इस प्रकार वह कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग कर धर्मांतरण का दबाव बनाता रहा।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि छांगुर बाबा के नेतृत्व में 18 सदस्यों का एक संगठित गिरोह काम कर रहा था। इस गैंग में यूपी गोंडा, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, औरैया कई जिलों और महाराष्ट्र के पुणे से भी लोग शामिल हैं। गिरोह के 14 सदस्य अभी फरार हैं। उनकी तलाश के साथ बलरामपुर के उतरौला क्षेत्र में पुलिस निगरानी बढ़ा दी गई है।
छांगुर बाबा की आर्थिक गतिविधियों की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी करेगी। एटीएस को आशंका है कि उसने अवैध धर्मांतरण के जरिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की है, जिसका उपयोग टेरर फंडिंग सहित अन्य गैरकानूनी कार्यों में किया गया हो सकता है। छांगुर और उसके साथियों ने फर्जी नामों से 40 से अधिक बैंक खाते खुलवाए और संदिग्ध खातों में रकम ट्रांसफर की। साथ ही, उसके गिरोह के सदस्य 40 बार इस्लामिक देशों की यात्राएं कर चुके हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े नेटवर्क की आशंका भी जताई जा रही है।