
मुंबई, 8 जुलाई 2025
गैंगस्टर अबु सलेम को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उसने उम्रकैद की सजा से पहले रिहा होने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने सख्ती से खारिज कर दिया। कोर्ट ने सलेम के वकीलों की दलीलों को नकारते हुए स्पष्ट कहा कि 25 साल की सजा की अवधि अब तक पूरी नहीं हुई है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत ठहराना न्यायिक मर्यादाओं का उल्लंघन है।
अबु सलेम को 2005 में पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उस पर 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट और बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या जैसे संगीन अपराधों में शामिल होने का आरोप है। सितंबर 2017 में उसे सीरियल ब्लास्ट केस में दोषी ठहराया गया था, जबकि 2015 में प्रदीप जैन की हत्या में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
सलेम के वकीलों – ऋषि मल्होत्रा और फरहाना शाह – ने दलील दी कि सलेम ने जेल में अच्छे आचरण के लिए तीन साल और 16 दिन की छूट अर्जित की है, साथ ही पुर्तगाल में बिताए गए हिरासत के समय को भी सजा में शामिल किया जाना चाहिए। उनका दावा था कि इन छूटों के आधार पर सलेम की सजा की अवधि पूरी हो चुकी है।
हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने इन दावों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि सलेम छूट की अवधि को जोड़कर गलत गणना कर रहा है और यदि उसे कोई आपत्ति है तो उसे सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण लेना चाहिए।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटिल की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार गिरफ्तारी की तारीख 12 अक्टूबर 2005 है और 25 साल की अवधि 2030 में पूरी होगी। ऐसे में अभी रिहाई का सवाल नहीं उठता। अदालत ने सलेम की याचिका त्वरित सुनवाई के लिए स्वीकार तो की है, लेकिन कोई सुनवाई तिथि निर्धारित नहीं की गई है।