हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 21 जुलाई 2025:
यूपी के गोरखपुर जिले में पिपराइच में स्थित मोटेश्वरनाथ महादेव मंदिर सौ साल से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां सावन के दूसरे सोमवार पर भक्तों का रेला उमड़ पड़ा है। भोर से ही जलाभिषेक व रुद्राभिषेक का सिलसिला चल रहा है। इस मंदिर में भोलेनाथ के साथ सोते हुए भीम, हनुमान शनिदेव व अन्य देवी देवताओं के दर्शन भी होते हैं। यहां शिव सेवक समिति श्रद्धालुओं का पूरा ख्याल रखती है।
पिपराइच स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर में यूं तो पूरे साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन सावन मास में मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। मंदिर परिसर में सोये हुए भीम की मूर्ति, विश्वकर्मा मंदिर, शनि देव, साई बाबा, हनुमान जी, दुर्गा जी, भैरोनाथ की मूर्ति के साथ यज्ञशाला, धर्मशाला व सरोवर भी है। भक्तों के रहने-खाने व दवा आदि की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन व शिव सेवक समिति करती है।
मंदिर के मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। सावन के पूरे महीने उमड़ने वाली भीड़ पर इनकी मदद से निगरानी रखी जाती है। श्रद्धालुओं में इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।
मान्यता है कि लगभग सौ वर्ष पहले गांव का एक किसान खलिहान बनाने के मकसद से झाड़ियां साफ कर कर रहा था। उसकी कुदाल एक शिला से टकराई, जिसे उसने छोटा पत्थर समझकर उखाड़ना चाहा लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। कुदाल के निशान आज भी शिवलिंग पर दिखाई पड़ते हैं। किसान ने इस बात की जानकारी गांव में दी। गांव वालों ने शिवलिंग को उसी जगह पर स्थापित कर दिया। इसके बाद मंदिर का निर्माण कराया गया।
मंदिर के महंत साधु शरण गिरि कहते हैं कि सावन मास में भोर में तीन बजे पूजा-अर्चना के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं। श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता है। साफ-सफाई का पर भी पूरा ध्यान रहता है। वहीं रात नौ बजे सफाई के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।