
चेन्नई, 26 जुलाई 2025:
भारतीय रेलवे ने तकनीकी प्रगति की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाई है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन के कोच का सफल परीक्षण किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की और कहा कि भारत अब 1,200 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इस कोच को “ड्राइविंग पावर कार” के रूप में जाना जाता है, जो पूरी तरह से हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है। यह ट्रेन डीजल या बिजली से चलने वाली पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण अनुकूल है। इसमें न तो धुआं निकलता है और न ही कोई कार्बन डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषक गैसें। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से ऊर्जा उत्पन्न कर यह ट्रेन चलती है, जिससे यह शुद्ध, हरित ऊर्जा के मार्ग पर एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
रेल मंत्री ने बताया कि भारत की योजना “विरासत के लिए हाइड्रोजन” पहल के तहत 35 हाइड्रोजन संचालित ट्रेनों को शुरू करने की है। प्रत्येक ट्रेन की अनुमानित लागत लगभग ₹80 करोड़ है। इसके अतिरिक्त, उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत खंड पर चलने वाली एक डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन तकनीक में परिवर्तित करने की ₹111.83 करोड़ की पायलट परियोजना भी शुरू की गई है।
हालांकि शुरुआत में इसकी परिचालन लागत अधिक हो सकती है, लेकिन दीर्घकाल में इससे परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। यह उपलब्धि भारत को विश्व के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करती है जो हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक में अग्रणी हैं। इस पहल से भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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