
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 7 अगस्त 2025:
यूपी की शिवनगरी काशी में गंगा और वरुणा नदियों का उफान जनजीवन को तहस-नहस कर रहा है। बाढ़ ने न केवल तटवर्ती क्षेत्रों को, बल्कि शहर के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। भवनों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक, सब कुछ जलमग्न है। यहां तक अंतिम संस्कार जैसे कार्य भी बाधित हो रहे हैं। अनुमान है कि वाराणसी में करीब एक लाख से अधिक लोग इस आपदा की मार झेल रहे हैं।
गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी ने भी इस बार कहर बरपाया है। खासकर वरुणा के तटवर्ती इलाकों में हालात अत्यंत गंभीर हैं। सड़कें, घर, और दुकानें पानी में डूबी हुई हैं। कई लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की शरण ले चुके हैं, जबकि कुछ लोग मजबूरी में अपने जलमग्न घरों में ही रहने को विवश हैं। स्थानीय निवासी राम प्रसाद बताते हैं, “हमारा सब कुछ पानी में बह गया। न खाने को कुछ है, न रहने की जगह। बस, अब गंगा मैया की कृपा का इंतज़ार है।
काशी में मोक्ष की कामना के साथ लोग अंतिम यात्रा के लिए आते हैं, वहाँ बाढ़ ने इस पवित्र कार्य को भी मुश्किल बना दिया है। घाटों पर पानी का स्तर बढ़ने से श्मशान घाट तक पहुँचना चुनौतीपूर्ण हो गया है। कई परिवारों को अपनों का अंतिम संस्कार करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी लोगों को तोड़ रही है।
हालांकि, इस संकट के बीच एक राहत की खबर यह है कि गंगा का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। फिर भी, नदी अभी खतरे के निशान से लगभग 50 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वरुणा तटवर्ती क्षेत्रों में स्थिति सामान्य होने में अभी कुछ और समय लग सकता है। प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन प्रभावित लोगों की संख्या इतनी अधिक है कि मदद अभी भी अपर्याप्त लग रही है। बाढ़ की इस त्रासदी के बीच काशीवासी हर पल राहत की उम्मीद संजोए हुए हैं। गंगा मैया, जो काशी की जीवनरेखा हैं, उनकी कृपा पर लोगों का विश्वास अटल है। स्थानीय निवासी शांति देवी कहती हैं, “गंगा मैया ने हमें हमेशा संभाला है। इस बार भी वह हमें इस संकट से निकालेंगी।”