
नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025
संसद में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन बिल को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह बिल पेश किया. इसके मुताबिक, अगर कोई केंद्रीय या राज्य मंत्री, यहां तक कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते हैं, तो 31वें दिन उन्हें पद छोड़ना होगा. सरकार इसे जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, जबकि विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए सत्ता का हथियार करार दिया है.
अब तक मंत्री, सीएम या पीएम के जेल जाने पर इस्तीफे का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था. अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के उदाहरणों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि इस बिल से नैतिक राजनीति को मजबूती मिलेगी. गंभीर अपराधों में भ्रष्टाचार, हत्या, बलात्कार, आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी धाराएं शामिल की गई हैं.
विपक्ष ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि सत्ताधारी दल इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है. ममता बनर्जी ने इसे इमरजेंसी जैसी स्थिति बताई. फिलहाल, बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाएगा ताकि सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हो सके. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.






