
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 29 सितंबर 2025 :
यूपी के गोरखपुर जिले में शारदीय नवरात्र के सातवें दिन कुसम्ही के जंगल में बने विख्यात बुढ़िया माई के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन पूजन कर रहे थे। अचानक लखनऊ से सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां पहुंच गए। बड़ों-बच्चों से मिलते व बतियाते वो मंदिर पहुंचे और देवी मां को चुनरी चढ़ाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने नाव से कुंड पार करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सस्पेंशन ब्रिज के निर्माण का ऐलान किया।
बुढ़िया माई के मंदिर परिसर में पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु दर्शन के लिए मौजूद रहे। खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे भी परिवार संग दर्शन के लिए पहुंचे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बच्चों के बीच पहुंचे और उन्हें स्नेहपूर्वक चॉकलेट वितरित कीं। अचानक मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर बच्चों के चेहरों पर खुशी दिखी।
दर्शन-पूजन के बाद मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर व नैसर्गिक कुंड का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि कुंड के दोनों ओर श्रद्धालुओं की आवाजाही आसान बनाने के लिए सस्पेंशन ब्रिज (झूला पुल) का निर्माण कराया जाए। जिलाधिकारी दीपक मीणा को उन्होंने इसकी कार्ययोजना तैयार करने का आदेश दिया। वर्तमान में श्रद्धालु नाव से कुंड पार करते हैं। मुख्यमंत्री के साथ विधायक महेंद्रपाल सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष जनार्दन तिवारी, जगद्गुरु स्वामी संतोषाचार्य उर्फ सतुआ बाबा, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास समेत कई जनप्रतिनिधि और संत मौजूद रहे। यहां से सीएम गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले अपने गुरुओं की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की और पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया।
600 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
बुढ़िया माई का मंदिर गोरखपुर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर कुसम्ही जंगल में है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से दर्शन व पूजन करने वाले भक्त कभी भी असमय काल के गाल में नहीं जाते हैं। बुढ़िया माई अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं। मंदिर लाठी का सहारा लेकर चलने वाली एक चमत्कारी श्वेत वस्त्रधारी वृद्धा के सम्मान में बनाया गया है। पहले जंगल के उस क्षेत्र में थारु जाति के लोग रहते थे। वे जंगल में ही तीन पिंड बनाकर वनदेवी की पूजा-अर्चना करते थे। थारुओं को अक्सर पिंड के आस-पास एक बूढ़ी महिला दिखाई देती थी, हालांकि वह कुछ ही पल में आंखों से ओझल हो जाती थी।