
राम दशरथ यादव
लखनऊ, 19 अक्टूबर 2025:
राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज व आसपास गांवों के किसान दीपावली पर्व पर एक अनूठी रस्म निभाते हैं। सोमवार को किसान पारंपरिक तरीके से खेत और घूरों की पूजा कर धन-धान्य की वृद्धि और समृद्धि की कामना करेंगे। किसानों की यह सदियों पुरानी परंपरा आज भी ग्रामीण अंचल में पूरे श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
गांवों में दीपावली का उत्सव केवल घरों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि खेतों तक फैला होता है। किसान मानते हैं कि धरती मां को जगाना यानी अपनी किस्मत को जगाना। उनका विश्वास है कि धरती मां उनकी पुकार सुनकर आने वाले वर्ष में अच्छी पैदावार और समृद्धि का वरदान देती हैं।
कार्तिक अमावस्या की शाम, जब पूरे देश में दीप जलाए जाते हैं, उसी समय गांवों में किसान “धरती माता को जगाने” की रस्म निभाते हैं। शाम की गोधूलि बेला में किसान अपने खेतों पर दीप जलाकर खेतों के कोनों को उजाला करते हैं और कहते हैं “धरती माता जागो जागो, चारों कोन बराबर।” इस पूजा के माध्यम से किसान धरती मां से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस रस्म के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। दीपावली के समय तक धान की फसल पक जाती है, लेकिन खेतों में हानिकारक कीड़े मौजूद रहते हैं। दीपों से निकलने वाला प्रकाश इन कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे वे आग की ओर भागकर नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि फसलों की सुरक्षा के लिए भी उपयोगी साबित होती है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि इस परंपरा को निभाने से उन्हें संतुष्टि और मानसिक शांति मिलती है। हर वर्ष दीपावली पर वे पूरे परिवार के साथ खेतों में जाकर दीप जलाते हैं और धरती मां की पूजा-अर्चना करते हैं।