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लखनऊ में गूंजा सुर-ताल का संगम : प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता में 1100 प्रतिभाएं दिखा रहीं हुनर

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से संत गाडगे ऑडिटोरियम में आयोजन, प्रदेशभर से आए बाल, किशोर और युवा कलाकार, दूसरा सत्र गायन का 8 से 11 दिसंबर तक होगा

लखनऊ, 2 दिसंबर 2025:

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता इस समय राजधानी लखनऊ के सांस्कृतिक माहौल को नई ऊर्जा दे रही है। गोमतीनगर स्थित अकादमी के संत गाडगे ऑडिटोरियम में आयोजित प्रतियोगिता के पहले चरण में प्रदेशभर से आए बाल, किशोर और युवा कलाकार अपनी कला का शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।

कला और संस्कृति के संरक्षण तथा नई प्रतिभाओं को मंच देने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रतियोगिता में इस बार रिकॉर्ड 1100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है। ये पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

प्रतियोगिता के पहले दिन सोमवार को स्वर वाद्यों की विभिन्न श्रेणियों में कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का मनमोहक प्रदर्शन किया। बच्चों और युवाओं की सधी हुई उंगलियों से निकले सुरों और धुनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंगलवार को प्रतियोगिता वाद्य वर्ग की ओर आगे बढ़ी, जिसमें तबला और पखावज वादकों ने अपनी ताल, लय और निपुणता से मंच पर धमक भरी। निर्णायक मंडल ने युवा प्रतिभाओं की तैयारी, समर्पण और रचनात्मकता की प्रशंसा की।

प्रतियोगिता का तीसरा और अंतिम दिन 3 दिसंबर कथक नृत्य के नाम रहेगा। इसमें प्रदेशभर के कलाकार अपनी अभिव्यक्ति और शैली से मंच को जीवंत करेंगे। इसके बाद प्रतियोगिता का दूसरा सत्र गायन का 8 से 11 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसमें शास्त्रीय, सुगम, गजल और भजन जैसी विधाओं के कलाकार अपना हुनर पेश करेंगे।

अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत के मुताबिक संस्था वर्षों से संभागीय और प्रादेशिक स्तर पर संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रही है। इसका उद्देश्य सिर्फ प्रतिभाओं को मंच देना ही नहीं, बल्कि कम उम्र से ही बच्चों में नृत्य, गायन और वादन के संस्कार विकसित करना भी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024–25 में 18 संभागों के 21 केंद्रों से लगभग 900 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2025–26 में प्रतिभागियों की संख्या बढ़कर लगभग 1100 हो गई है। प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए इस वर्ष लखीमपुर और फर्रुखाबाद में दो नए केंद्र भी जोड़े गए हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष प्रतियोगिता ने स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया था, जिसमें शास्त्रीय संगीत के साथ गजल और भजन को भी शामिल किया गया था। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लगातार प्रयासरत है कि अधिक से अधिक बच्चों और युवाओं को भारतीय कला संस्कृति से जोड़ते हुए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया जा सके।

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