लखनऊ, 14 दिसंबर 2025:
यूपी के हमीरपुर जनपद से रहस्यमय तरीके से लापता हुए भाजपा नेता एवं पूर्व जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह आखिरकार 55 दिन बाद मिल गए हैं। लंबे समय से उनकी तलाश में जुटी हमीरपुर पुलिस ने उन्हें राजधानी लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र स्थित एक मकान से खोज निकाला। इसके साथ ही प्रदेश में चर्चा में रहा यह मामला एक नए मोड़ पर पहुंच गया है।
हमीरपुर के राठ कस्बे के निवासी प्रीतम सिंह भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर स्थानीय नेता माने जाते हैं। वे भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। विधानसभा व लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। अक्टूबर माह में धनतेरस के दिन उनके पेट्रोल पंप पर मारपीट की एक घटना सामने आई थी। इसके बाद पुलिस उन्हें कोतवाली ले गई थी। हालांकि, पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था। इसके बाद प्रीतम सिंह अचानक लापता हो गए जिससे जिले में हड़कंप मच गया।

उनके लापता होने के बाद परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। याचिका में पुलिस पर अवैध हिरासत में रखने या जबरन गायब करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचने और लगातार दबाव के बावजूद पुलिस को लंबे समय तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका। पुलिस ने उनके पेट्रोल पंप के ताले तोड़कर तलाशी अभियान भी चलाया लेकिन वहां से भी कोई जानकारी हाथ नहीं लगी। इस दौरान प्रीतम सिंह पूरी तरह भूमिगत रहे।
लगातार तलाश और तकनीकी जांच के बाद आखिरकार पुलिस को बड़ी सफलता मिली। 55 दिन बाद उन्हें लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र में एक मकान से मुक्त कराया गया। इसके बाद पुलिस उन्हें राठ ले गई,जहां उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शनिवार को प्रीतम सिंह को हमीरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद उन्हें 16 दिसंबर तक पुलिस की सुपुर्दगी में रखने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है। 16 दिसंबर को अगली सुनवाई निर्धारित है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि निर्धारित तिथि पर प्रीतम सिंह को हाईकोर्ट में पेश किया जाए।
कोर्ट में बयान दर्ज कराने के बाद पुलिस ने प्रीतम सिंह को हमीरपुर मुख्यालय स्थित एक वृद्धाश्रम में रखने की व्यवस्था की है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय उनकी उम्र, स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है। पुलिस का दावा है कि वह कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन करते हुए आगे की कानूनी कार्रवाई करेगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है बल्कि पुलिस की भूमिका और लापता होने के रहस्य पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की नजरें 16 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं जहां इस मामले की दिशा और दशा तय हो सकती है।






