बांदा,14 जनवरी 2025
बांदा जिले के ऐतिहासिक भूरागढ़ दुर्ग में मकर संक्रांति के दिन नट वीरन और उनकी पत्नी वीरमती की समाधियों पर श्रद्धालु श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। वीरन नट, जो 1825 में मध्य प्रदेश के सरबई कस्बे में जन्मे थे, युद्धकला और तंत्र में माहिर थे। उन्होंने नवाब अली बहादुर की बेटी को बाघ और मगरमच्छ से बचाया था, जिसके बाद नवाब ने उन्हें 5000 सैनिकों का मनसबदार बनाया। मकर संक्रांति पर वीरन ने एक चुनौती स्वीकार की, जिसमें उन्हें सूत की रस्सी पर चलकर नदी पार करनी थी। लेकिन रास्ते में धोखे से रस्सी काट दी गई, जिससे वीरन चट्टान पर गिरकर शहीद हो गए।
वीरन की मौत के बाद उनकी पत्नी वीरमती ने किले के झरोखे से कूदकर आत्महत्या कर ली। नवाब ने दोनों को शाही सम्मान दिया और उनकी समाधियों का निर्माण करवाया। आज भी लोग मकर संक्रांति पर उनके बलिदान को याद करते हैं। इतिहासकार मदन मोहन शर्मा के अनुसार, वीरन और नवाब की बेटी के रिश्ते को प्रेम संबंध नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य का संबंध होना चाहिए था, जैसा कि कुछ भ्रम फैलाया गया है।