
मयंक चावला
आगरा 13 जून 2025:
यूपी के आगरा जिले की किरावली तहसील के अकोला गांव मातम में डूबा है। यहां रहने वाला लवानिया परिवार आंसुओं में डूबा है। उनके परिवार के बेटे नीरज लवानिया और बहू अपर्णा की अहमदाबाद विमान हादसे में मौत हो गई। खबर सुनकर कल से ही सारे रिश्तेदार जमा हैं। गांव में पसरी खामोशी के बीच घर मे सिसिकियां गूंज रहीं हैं। वहीं इसी गमगीन माहौल में शुक्रवार को मृतक नीरज के भाई बहन अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए हैं।
बड़ोदरा में पत्नी अपर्णा के साथ निजी कम्पनी में जॉब कर रहा था नीरज लवानिया
तहसील किरावली के गांव अकोला में स्व.महावीर प्रसाद लवानिया का कुनबा रहता है। उनके दो बेटे सतीश और नीरज लवानिया हैं। सतीश आज भी यहां खेती बाड़ी का काम संभाल रहे हैं जबकि नीरज ने बड़ोदरा में जॉब खोज लिया। एक निजी कम्पनी में कार्यरत नीरज पत्नी अपर्णा के साथ वहीं रहने भी लगे लेकिन गांव से रिश्ता बना रहा और आना जाना होता रहा। नीरज अभी आठ माह पूर्व शिक्षक पिता के निधन पर तेरहवीं संस्कार में भी आये थे।
भाई सतीश ने बताया सुबह फ्लाइट पकड़ने से पूर्व हुई थी बात फिर आई ब्रेकिंग न्यूज
भाई सतीश लवानिया बताते हैं कि नीरज अक्सर विदेश यात्रा करता रहता था। ये उसका पर्सनल टूर था। उसने 50 वर्ष जीवन के पूरे किए थे। इसी खुशी में उसने प्रोग्राम बनाया। सुबह 9.30 बजे उससे बात हुई। नीरज ने कहा था ‘भैया हम लोग टैक्सी से बड़ोदरा से अहमदाबाद जा रहे हैं। डेढ़ बजे की फ्लाइट है। 12 घण्टे में लंदन पहुंच जाएंगे। फिर मैं आपसे बात करूंगा’। सतीश भावुक होकर बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने ब्रेकिंग न्यूज सुनी कि प्लेन क्रैश हो गया है। इसके बाद कुछ पता नहीं चला।
सांसद राजकुमार परिवार से मिले, भाई व बहन अहमदाबाद को रवाना
विमान हादसे के बाद समय बीतने के साथ लोग उनके घर पहुंचने लगे। प्लेन हादसे में लगभग सभी यात्रियों के मरने की पुष्टि होते ही परिवार की आस टूट गई। गांव में मातम पसर गया। लवानिया दंपति के मौत की खबर मिलते ही फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर अकोला गांव में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच गए और उन्हें ढांढस बंधाया। स्व. नीरज के भाई और बहन आगरा से अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए हैं। दोनों पहले दिल्ली और उसके बाद फ्लाइट से अहमदाबाद पहुंचेंगे। वहीं पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है। रिश्तेदार व ग्रामीणों का आना जाना लगा है। प्रधान गम्भीर सिंह बताते हैं कि नीरज बहुत मिलनसार थे। गांव आने पर सब से मिलकर ही वापस जाते थे। आलम ये है कि गांव में घरों में चूल्हे तक नहीं जले। चचेरे भाई विनय लवानिया भी यहां गम में डूबे दिखाई दिए।