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जहां जमीन में गाड़ा जाता है दूध…और सालभर बाद बनती है खीर! जानिए अहिरवारन धाम का अनोखा रहस्य

एम. एम. खान

लखनऊ, 15 अक्टूबर 2025:

यूपी की राजधानी लखनऊ के निगोहां क्षेत्र के अहिरवारन गांव में छोटी दिवाली के अवसर पर लगने वाले पारंपरिक मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि एक साल पहले जमीन में गाड़े गए दूध से खीर बनाई जाती है। इसे परंपरा के तहत श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस साल यह प्रसाद पुलिस की निगरानी में वितरित किया जाएगा, ताकि भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा में किसी तरह की चूक न हो।

गांव के प्राचीन मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां हर वर्ष दूध को जमीन में गाड़ा जाता है और अगले वर्ष उसी दूध से खीर बनाकर प्रसाद तैयार किया जाता है। श्रद्धालु इस खीर को चमत्कारिक मानते हैं। इसे आस्था का प्रतीक मानकर ग्रहण करते हैं। मंदिर के पुजारी लखनानंद के अनुसार यह परंपरा सदियों पुरानी है।

नाम की उत्पत्ति और ऐतिहासिक मान्यताएं

गांव के बुजुर्गों के अनुसार ‘अहिरवारन’ नाम ‘अहि’ (सर्प) और ‘निवार’ (उद्धार) से बना है। किंवदंती है कि यहीं राजा नहुष सर्प योनि में पड़े थे और इसी स्थान पर उनका उद्धार हुआ था। इसलिए इस मंदिर में आज भी सर्प पूजा का विशेष महत्व है।

चन्द्र सरोवर से जुड़ी पौराणिक कथा

अहिरवारन धाम का चन्द्र सरोवर तालाब भी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि यहीं पर पांडवों से यक्ष ने पांच प्रश्न पूछे थे, जो आज भी महाभारत की कथा में अमर हैं।

मेले में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

हर साल छोटी दिवाली के दिन लगने वाला यह मेला हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। जहां एक ओर यह आयोजन परंपरा, इतिहास और आस्था को जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण संस्कृति और लोकविश्वास का जीवंत उदाहरण भी पेश करता है।

एसीपी ने किया मेला स्थल का निरीक्षण

मोहनलालगंज एसीपी रजनीश वर्मा और थाना प्रभारी अनुज कुमार तिवारी ने मेला स्थल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने दुकानों, झूलों, पार्किंग स्थल, भीड़ नियंत्रण, साफ-सफाई और पेयजल व्यवस्था का बारीकी से मूल्यांकन किया। इस दौरान वीडीओ मोहनलालगंज, एडीओ पंचायत और अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। एसीपी वर्मा ने कहा कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने अहिंनवार धाम में स्थित ऐतिहासिक चन्द्र सरोवर तालाब की साफ-सफाई और रखरखाव के भी निर्देश दिए।

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