
नई दिल्ली, 9 जुलाई 2025
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने जहां टेक्नोलॉजी की दुनिया में क्रांति ला दी है, वहीं इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव भी अब ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। खासकर ChatGPT जैसे एआई मॉडल के इस्तेमाल को लेकर हाल ही में आई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जब आप ChatGPT से एक सवाल पूछते हैं, तो उसके जवाब को तैयार करने में लगभग आधा लीटर पानी खर्च होता है।
यह पानी सीधे मशीन नहीं पीती, बल्कि डेटा सेंटर में इस्तेमाल होता है। AI मॉडल्स जैसे ChatGPT को बड़े-बड़े सर्वरों पर चलाया जाता है जिन्हें लगातार ठंडा रखना पड़ता है, क्योंकि प्रोसेसिंग के दौरान ये सर्वर काफी गर्म हो जाते हैं। इन्हें ठंडा रखने के लिए पानी आधारित कूलिंग सिस्टम (Evaporative Cooling Systems) या एयर कंडीशनिंग यूनिट्स (Air Conditioning Units) का इस्तेमाल किया जाता है। हर एक सवाल का जवाब तैयार करने में इन सिस्टम्स के जरिए लगभग 500 मिलीलीटर पानी की खपत होती है।
सिर्फ पानी ही नहीं, बिजली की खपत भी उतनी ही चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ChatGPT का उपयोग करोड़ों लोग प्रतिदिन करें, तो इसके संचालन के लिए किसी छोटे शहर जितनी बिजली की जरूरत पड़ सकती है। और यदि यह बिजली कोयले या पारंपरिक स्रोतों से आती है, तो यह कार्बन उत्सर्जन को और बढ़ा सकती है।
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि AI की बढ़ती मांग को देखते हुए डेटा सेंटर्स का विस्तार ऐसे क्षेत्रों में किया गया जहां पहले से जल संकट है, तो यह हालात और गंभीर कर सकता है।
ChatGPT और अन्य एआई टूल्स की उपयोगिता पर कोई शक नहीं, लेकिन इनके पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट्स बताती हैं कि AI टेक्नोलॉजी को सतत विकास के रास्ते पर लाने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी और वाटर-इफिशिएंट टेक्नोलॉजी को अपनाना वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है।