बाराबंकी,15 मार्च 2025
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी स्थित देवा में हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर हर साल की तरह इस बार भी कौमी एकता की मिसाल पेश करती रंगों की होली खेली गई। इस अनोखे आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से लोग पहुंचे और सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश देते हुए एक-दूसरे को गुलाल और रंग लगाकर प्रेम और भाईचारे का जश्न मनाया। सफेद संगमरमर से बनी इस ऐतिहासिक दरगाह पर सुबह से ही सभी धर्मों के लोग इकट्ठा हुए, जहां डीजे बैंड की धुन पर लोग नाचते-गाते हुए मोहल्लों से होते हुए दरगाह परिसर तक पहुंचे।
दोपहर तक हजारों की संख्या में लोग अबीर, गुलाल और फूलों से सराबोर होकर इस अनूठे त्योहार का आनंद लेते रहे। इसी तरह, शहर के धनोखर चौराहे पर भी हजारों महिला-पुरुषों ने हनुमान मंदिर से घंटाघर तक जुलूस निकालते हुए पारंपरिक होली खेली, जिसमें सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ शामिल हुए।इस दरगाह की होली का आकर्षण दूर-दराज के राज्यों तक फैला हुआ है, जिसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए कर्नाटक, कोलकाता, बिहार, झारखंड समेत कई जगहों से जायरीन पहुंचे। कोलकाता से आई अमीषा गुप्ता ने इसे गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बताया, जबकि सरदार राजिंदर सिंह और शोभा सिंह ने इसे प्रेम और एकता का प्रतीक कहा।
मुस्लिम जायरीनों ने भी स्पष्ट संदेश दिया कि भाईचारे की इस होली में धर्म या मजहब की कोई दीवार नहीं होती, बल्कि यह उन कट्टरपंथी सोच के खिलाफ एक मजबूत जवाब है जो समाज को बांटना चाहते हैं। कानपुर से आए मुस्लिम जायरीन ने बताया कि उनके शहर में भी गंगा मेले की होली कई दिनों तक सभी धर्मों के लोग मिलकर मनाते हैं और उसी भावना के साथ यहां भी बिना भेदभाव के होली खेली जाती है। उन्होंने कहा कि रमजान में रंग खेलने से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि यह साबित करता है कि प्रेम और एकता किसी भी धार्मिक मतभेद से ऊपर है।