
अंशुल मौर्य
वाराणसी,12 जून 2025:
बिहार के कैमूर से राणा प्रताप सिंह नामक युवक ने भारतीय संस्कृति और ममता की अनोखी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी 90 वर्षीय मां को कंधे पर उठाकर पैदल कैमूर से काशी तक की यात्रा की, गंगा में स्नान कराया और बाबा विश्वनाथ के दर्शन कराए। यह दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो गया।
राणा प्रताप के पिता का निधन 11 अप्रैल को हुआ था। उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया कि हर पूर्णिमा पर अपनी मां को तीर्थ यात्रा कराएंगे। इस पहली पूर्णिमा पर उन्होंने इस व्रत की शुरुआत की और कहा, “माँ ही सबसे बड़ा तीर्थ हैं, उनकी सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।”
जहां आज कई लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं, राणा प्रताप की यह यात्रा भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने का प्रतीक बन गई है। उन्होंने अपने पिता की चरण पादुका की पूजा कर, न केवल आस्था को निभाया, बल्कि कर्तव्य और प्रेम का आदर्श भी प्रस्तुत किया।
यह यात्रा सिर्फ कदमों की नहीं थी, यह दिल से निकले भावों की यात्रा थी – जो बताती है कि माता-पिता की सेवा ही सच्चा धर्म और संस्कृति की आत्मा है।






