लखनऊ, 20 जनवरी 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ में धोखाधड़ी कर विकास प्राधिकरण (एलडीए) की सम्पत्ति बेचने वाले कनिष्ठ लिपिक को पुलिस ने आखिरकार तीन साल बाद धर दबोचा। उसे गोमती नगर थाने की पुलिस ने जेल भेज दिया है।
पुलिस के मुताबिक लखनऊ के सरोजनीनगर के गौरी बाजार क्षेत्र का निवासी अजय प्रताप वर्मा वर्ष 2022 में लखनऊ विकास प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात था। इस दौरान उसने जालसाजी कर फर्जी अभिलेख बनाये और प्राधिकरण की ही जमीन बेच दी। इस मामले में उस समय प्राधिकरण के उप सचिव रहे माधवेश कुमार ने वर्ष 2022 में लिपिक अजय व उसके अन्य साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
केस दर्ज होते ही अजय फरार हो गया। पुलिस उसे तीन साल से खोज रही थी। तलाश के दौरान पुख्ता जानकारी मिलने पर गोमतीनगर पुलिस ने उसे खोज निकाला। गिरफ्तारी के बाद अजय को जेल भेज दिया गया।
क्या था मामला
उप सचिव माधवेश के पास वर्ष 2022 में त्रिवेणी नगर के आदर्श पुरम निवासी शिवानी रस्तोगी के नाम का सेल्स एग्रीमेंट आया था। इसमें लिखा था कि शिवानी ने गोमतीनगर योजना के तहत एक जमीन एलडीए से खरीदी है। जांच में पता चला कि एग्रीमेंट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाया गया था। जमीन बेचने में गवाह भानु प्रताप शर्मा और अभिनव सिंह से पूछताछ में पता चला कि लिपिक अजय भी शामिल है। अजय ने ही फर्जी दस्तावेज वाला जमीन का विवरण एलडीए की वेबसाइट पर अपलोड किया था। खुलासा होने के बाद अजय को निलंबित कर दिया गया था।