वाराणसी में जैन धर्म का नया पर्यटन केंद्र: चंद्रप्रभु तीर्थस्थली का विस्तार

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वाराणसी, 20 जनवरी 2025:
उत्तर प्रदेश का वाराणसी, जिसे मिनी हिंदुस्तान भी कहा जाता है, धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत उदाहरण है। यह नगर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए एक पवित्र केंद्र है। इसी कड़ी में अब जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली चंद्रावती को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

चंद्रावती: जैन धर्म का पवित्र स्थल

वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर गाजीपुर एनएच 31 के दाहिने गंगा तट पर स्थित चंद्रावती घाट भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली है। यहां श्वेतांबर और दिगंबर जैन मंदिर स्थित हैं, जो दुनियाभर के जैन अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र हैं। इस घाट को पर्यटन दृष्टि से विकसित करने के लिए 17.07 करोड़ रुपये की लागत से एक परियोजना पर काम चल रहा है।

तीन धर्मों का परिपथ: एक अनोखी पहल

काशी अब हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों का प्रमुख पर्यटन सर्किट बनने जा रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर और सारनाथ के साथ चंद्रावती को इस सर्किट में शामिल किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत 200 मीटर लंबा घाट बनाया जा रहा है, जिसमें तीन प्लेटफॉर्म की सीढ़ियां होंगी। घाट के निर्माण में गेबियन मेश और रिटेंशन वाल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे इसका स्वरूप काशी के पुराने घाटों जैसा होगा।

पर्यटन के नए अवसर और रोजगार का सृजन

इस जैन परिपथ के निर्माण से न केवल चंद्रावती घाट को नई पहचान मिलेगी, बल्कि यह स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। जलयान से जोड़ने के बाद यह स्थल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आसानी से सुलभ हो जाएगा।

पर्यटन सुविधाओं का विकास

केंद्र और प्रदेश सरकार के सहयोग से चंद्रावती गंगा तट पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। वर्तमान में परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इस स्थान का शिलान्यास पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने किया था।

तीर्थ और पर्यटन का संगम

चंद्रावती घाट के विकास से पर्यटकों को सारनाथ बौद्ध परिपथ, उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम और मार्कंडेय महादेव मंदिर भी आकर्षित करेंगे। यह पहल काशी को एक समग्र धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेगी।
काशी में यह परियोजना धर्म और पर्यटन के बीच के तालमेल को एक नया आयाम दे रही है। चंद्रप्रभु तीर्थस्थली का यह विस्तार न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक अनूठा अनुभव होगा।

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