Bihar

Bihar Politics: पहले प्रत्याशियों में बदलाव, अब डिग्री पर उठे सवाल, प्रशांत किशोर दो बार अलग-अलग मोर्चों पर घिरे

पटना, 30 अक्टूबर, 2024

दो अक्तूबर को अपनी पार्टी की लॉन्चिंग करने के बाद से जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर अलग-अलग कारणों से लगातार बिहार की राजनीति में चर्चा में बने हुए हैं। प्रशांत किशोर तब भी चर्चा में आये थे, जब उन्होंने तरारी और बेलागंज से चुनाव मैदान में उतरे अपने प्रत्याशियों को बदल दिया था। प्रशांत किशोर अब फिर चर्चा में आ गए हैं, जब उनके द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों की डिग्री और आपराधिक मामलों पर चर्चा हो रही है।

पर्याप्त नहीं है डिग्री
दरअसल प्रशांत किशोर की पार्टी के ऊपर ताजा आरोप यह लग रहा है कि उनके उम्मीदवारों के पास पर्याप्त डिग्री नहीं है। चारों ही सीटों पर खड़े उम्मीदवारों में से किसी ने भी ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं है। इमामगंज सीट से जन सुराज की टिकट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे डॉक्टर जितेंद्र पासवान के बारे में जानकारी दी गई थी कि वह एक एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जबकि अब यह सामने आ रहा है कि जितेंद्र पासवान आरएमपी है और उन्होंने इंटर की डिग्री हासिल की है। इसके बाद भी जन सुराज की तरफ से जितेंद्र पासवान कोई डॉक्टर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

एक प्रत्याशी के ऊपर आपराधिक मामला
बेलागंज सीट से प्रशांत किशोर ने गया के मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज से रिटायर्ड प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को मैदान में उतारा था। लेकिन बाद में प्रशांत किशोर ने उनकी जगह पर मोहम्मद अमजद को अपना प्रत्याशी बनाया। बताया जा रहा है कि मोहम्मद अमजद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। मोहम्मद अमजद ने भी इंटर तक की ही डिग्री को हासिल की है।

प्रशांत किशोर ने किया था दावा
दरअसल प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में आने से पहले राजनीतिक तंत्र को ही बदलने का दावा किया था। उनके प्रशंसकों की सूची बढ़ने की भी एक बड़ी वजह यह भी थी। प्रशांत किशोर ने अपने प्रत्याशियों के चयन के लिए कई दावे भी किए थे। उन्होंने कहा था कि उनके सभी प्रत्याशी पढ़े लिखे होंगे। उनके प्रत्याशियों का चुनाव सर्वे के आधार पर किया जाएगा। पार्टी के वर्कर प्रत्याशियों के चयन में अहम भूमिका निभाएंगे। लेकिन जिस तरीके से प्रशांत किशोर ने पहले अपने प्रत्याशियों को बदला और अब उनके द्वारा तय किए गए प्रत्याशियों के ऊपर अपराधिक मामले और डिग्री पूरी नहीं होने की बात सामने आ रही है। इससे अब प्रशांत किशोर राज्य के अन्य राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गए हैं।

मजिस्ट्रेट चेकिंग में पकड़े गए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर की पार्टी पर शुरू से ही हमलावर रुख अपना रही राष्ट्रीय जनता दल ने अब तंज कसा है। पार्टी के प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं, प्रशांत किशोर धरातल की राजनीति में मजिस्ट्रेट चेकिंग में पकड़े गए हैं। तरारी में उन्होंने जिसको उम्मीदवार बनाया उनका नाम बिहार के वोटर लिस्ट में नहीं था। आनन फानन में उन्होंने इस सीट पर उम्मीदवार को बदला। बेलागंज से जिस उम्मीदवार को उन्होंने मैदान में उतारा, उसने लड़ने से ही इनकार कर दिया। जो कहा करते थे कि हम बिहार की राजनीति को बदलने के लिए आए हैं। लेकिन आपने दागदार को टिकट दे दिया। जो परसेप्शन अपने इमामगंज के उम्मीदवार के संबंध में खड़ा किया था कि वह डॉक्टर है, दरअसल वह आरएमपी है और इंटर पास है। चार उम्मीदवारों को अपने नॉन ग्रेजुएट उम्मीदवारी देकर के स्पष्ट प्रमाण दे दिया है कि आप बिहार और बिहार की राजनीति की सरजमीं को समझ नहीं पा रहे हैं। सरजमीं का ज्ञान नहीं है। दूसरी पार्टी के लिए एजेंसी के माध्यम से राजनीतिक रणनीतिकार तो बन सकते हैं लेकिन राजनीतिक पारी नहीं खेल सकते हैं। जिस प्रकार की राजनीति बिहार में अपने शुरू की है, यह स्पष्ट प्रमाण है कि आप परसेप्शन की राजनीति करना चाह रहे थे। बीजेपी के इशारे पर जिस तरह की राजनीति कर रहे थे और सामाजिक न्याय की धारा और धर्मनिरपेक्ष की धारा को कमजोर करने के लिए जो राजनीति शुरू की थी उसकी पोल खोल चुकी है।

बिहार की राजनीति में नमूना हैं प्रशांत किशोर
जदयू के वरिष्ठ प्रवक्ता निहोरा प्रसाद यादव कहते हैं, प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में एक नमूना हैं। अपने आप को उन्होंने इस प्रकार प्रसारित किया कि लगा कि इनकी तरह बिहार की राजनीति में कोई नहीं हो सकता है। नतीजा यह हुआ कि उनकी सारी कलई खुल गई है। चार विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। जो प्रत्याशी इन्होंने दिए हैं, यह सभी जानते हैं कि उन्होंने क्या किया। बेलागंज के प्रत्याशी को इनको बदलना पड़ा। जिसको प्रत्याशी बनाया उनके जानकारी मिली है कि कई आपराधिक मुकदमे भी हैं। इमामगंज के जो प्रत्याशी हैं उनके बारे में प्रशांत किशाेर ने ऐसा प्रसारित किया कि एक एमबीबीएस डॉक्टर है लेकिन वह इंटर पास निकले। अन्य स्थानों पर भी इनका यही हाल है। प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति को समझने में जीवन खपाना पड़ेगा। बिहार की जो राजनीतिक मूल है, जो धारा है, प्रशांत किशोर के लिए समझना बहुत मुश्किल है।

हमने जनता को विकल्प दिया
इस मुद्दे पर जन स्वराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर कहते हैं, जन सुराज का मूल मंत्र सही व्यक्ति, सही सोच का व्यक्ति और समाज का सामूहिक प्रयास है। सही लोग की क्राइटेरिया क्या है? हमने बार-बार कहा है कि सही लोग की क्राइटेरिया यह नहीं है कि वह बहुत बड़े डिग्री धारक हो? सही लोग का स्टेटस में यह है कि समाज किसे सही मानता है? जिसने समाज में रहकर कुछ काम किया है। अगर जो लोग यह कह रहे हैं कि इस परिपेक्ष में कि मैं तेजस्वी यादव के नौंवी पास नहीं होने की बात उठाई है तो मैं बार-बार कहता रहा हूं कि सवाल यह नहीं है कि वह नौंवी पास नहीं है। क्योंकि कई बार परिस्थितिवश सामाजिक आर्थिक स्थिति की वजह से संभव है कि आपके पास बड़ी डिग्री न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अपने समाज में कुछ काम न किया हो। दूसरी बात तेजस्वी यादव के माता-पिता मुख्यमंत्री रहे हैं। जिनके माता-पिता मुख्यमंत्री रहे हैं। सीएम के बेटे रहने के बाद भी अगर आप नौंवी क्लास पास नहीं करते हैं तो यह है आपकी योग्यता से बढ़कर यह दिखता है कि शिक्षा को लेकर आपका नजरिया क्या है? आपकी सोच क्या है? जो भी जन सुराज के चार प्रत्याशी के खड़े हैं। उनके बारे में समाज में जाकर के पूछ ले। वह बालू माफिया, क्रिमिनल नहीं हैं। वह किसी बड़े बाप के लड़के नहीं हैं। उनके मां-बाप किसी विधायक के मंत्री नहीं हैं। वह समाज के समान परिवारों के लोग हैं। जन सुराज पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। जनता के सामने पहली बार पिछले 25 सालों में विकल्प है कि वह राजद के डर से बीजेपी को, बीजेपी के डर से राजद को वोट देते रहे हैं। इससे अलग हटकर दल या नेता का चुनाव करें।

चुनाव परिणाम बताएंगे, कितना सफल रहे पीके
वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार कहते हैं कि प्रशांत किशोर की जो स्ट्रेटजी है, जिस प्रकार से वह राजनीति में जिस तरह के दावे के साथ आए हैं। वह फिलहाल पहली नजर में यह दिख रहा है कि सफल नहीं हो पा रहे हैं। जिस तरीके से उन्होंने अपने प्रत्याशियों को बदला, दावे किए, क्रांति की बात कही। फिलहाल वह उनमें वैसे सफल नहीं दिख रहे हैं। इसका कारण यह भी हो सकता है कि बिहार की राजनीति को समझने में थोड़ी चूक कर रहे हैं। जिस तरीके से बिहार में राजनीति होती है, वह भले ही स्ट्रैटेजिक हिसाब से गुणा भाग करके अपनी राजनीति बनाई हो। लेकिन फिलहाल जिस तरीके से उम्मीदवार बदलने पड़े, साफ सुथरी छवि के उम्मीदवारों को राजनीति में लाकर के टिकट देने की बात कही गई थी। उसमें वह फिलहाल सफल नहीं दिख रहे हैं। दावें अपनी जगह पर है लेकिन जमीन पर काम करने का स्टाइल अलग होता है। वह बहुत बड़े रणनीतिकार है उनको तजुर्बा है। लेकिन हर योजना को अच्छे तरीके से इंप्लीमेंट करना है, किसी भी योजनाकार के लिए चुनौती होता है। प्रशांत किशोर संभवत: इसी से जूझ रहे हैं। परिणाम बतायेगा कि वह कितना सफल रहे हैं‍?

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