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जैव विविधता दिवस: संगोष्ठी में सीएम बोले… विकास को आत्मघाती न होने दें

लखनऊ, 22 मई 2025:

यूपी की राजधानी स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा प्रकृति को बचाते हुए सतत विकास को बचाया जाए। हमें विकास का ऐसा मॉडल अपनाना चाहिए जो कि आत्मघाती न हो। वहीं वन मंत्री अरुण सक्सेना ने कुकरैल नाइट सफारी को जल्द शुरू करने की बात कही।

पृथ्वी केवल मनुष्य के लिए नहीं, नदी, पेड़, जीवों के बारे में सोचना होगा

‘प्रकृति तथा सतत विकास के साथ सामंजस्य’ थीम पर आयोजित इस संगोष्ठी में सीएम ने जैव विविधता क्षेत्र में योगदान करने वालों को पुरस्कृत किया और इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। सीएम ने कहा कि ये पृथ्वी केवल मनुष्य के लिए नहीं है। हमें रहना है तो पर्यावरण, नदी, पेड़, जीव जंतुओं के बारे में सोचना होगा। इसमें सरकार, पर्यावरणविद और आम लोगों को जोड़ने से ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे। जैव विविधता दिवस के आयोजन का उद्देश्य यही है। सीएम ने रामायण का पहला बलिदानी जटायु बताते हुए कहा कि आज जटायु के लिए संरक्षण केंद्र बनाने पड़ रहे हैं। केमिकल की वजह से जटायु अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है।

जानवरों के हिंसक होने का कारण जानना होगा, वन विभाग ने फॉरेस्ट कवर बढ़ाया

मुझे कभी-कभी जीवों के अचानक बदले व्यवहार को देखकर आश्चर्य होता है। जंगली जानवर अचानक हिंसक नहीं होता। उसके कारणों को जानना होगा। वन विभाग ने पिछले 08 वर्षों में 210 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर उत्तर प्रदेश के फॉरेस्ट कवर को आगे बढ़ाने में मदद की है। जो व्यक्ति प्रकृति के जितने अधिक नजदीक रहेगा।

विकास के नाम पर स्वयं खड़ी की समस्या

सीएम ने बदलाव का जिक्र करते हुए कहा पहले कोई व्यक्ति गांव की जमीन पर कब्जा नहीं करते थे। लोग प्रकृति की आराधना करते थे। ऋषि परम्परा में पीपल, बरगद, नीम और आम आदि में ईश्वर का वास बता दिया ताकि हम संरक्षण कर सकें। पहला ग्रास गाय और अंतिम ग्रास कुत्ते का निकाला जाता था। पहले घर में चींटी निकलती थी आटा और चीनी डाल देते थे। आज स्प्रे छिड़क देते हैं। आज हमने विकास के नाम पर अपने लिए समस्या खड़ी कर दी है। हर गांव में खलिहान की भूमि होती थी। लोग खेत में व पराली में आग नहीं लगाते थे। गांव में खाद का खड्ड होता था। कंपोस्ट के रूप में उसका इस्तेमाल होता था। हर गांव में तालाब था। उसे गंदा नहीं करते थे। सुविधा के साथ खड्ड, खलिहान और गोचर जमीन पर कब्जा हो गया। तालाब के पानी को गंदा कर दिया गया। आज इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी पैदा हो गई।

जीवित रहना है संसार के बारे में सोचना होगा

भारत से अधिक जैव विविधता के महत्व को कोई नहीं समझ सकता। सनातन परिवार में मांगलिक कार्य की शुरुआत शांति पाठ से होती है। ये अपने लिए नहीं होता बल्कि पूरे संसार के कल्याण की कामना के साथ मांगलिक कार्य शुरू होता है। अगर मनुष्य को जीवित रहना है तो संसार के बारे में सोंचना होगा।

वन मंत्री बोले… जैव विविधता से भरा है कुकरैल जल्द मिलेगा नाइट सफारी का लुत्फ

वन मंत्री अरुण सक्सेना ने कहा कहा कुकरैल जैव विविधता का सबसे बड़ा उदाहरण है। कुकरैल के जंगल में तरह-तरह के जीव हैं। हम इसे और भी ज्यादा डेवलप करेंगे। यहां लोग दिन के साथ-साथ लोग जल्द ही नाइट सफारी का आनंद लेंगे। पर्यावरण और विकास एक तराजू के दो पहलू हैं। कोई भी अगर एक चीज ज्यादा होगी तो दूसरा हल्का पड़ जाएगा। अगर दोनों को बराबर रखना है तो हमें विकास के साथ ही पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा।

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