हाई कोर्ट ने कहा – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

ankit vishwakarma
ankit vishwakarma

मुंबई , 4 सितंबर 

पिछले महीने बदलापुर में तीन और चार साल की दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न हुआ था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस में स्वतः संज्ञान लिया. मंगलवार, 3 सितंबर को हाई कोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लड़कों को कम उम्र में ही महिलाओं और लड़कियों के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए, उनका सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए. जस्टिस डेरे ने सरकार के नारे में बदलाव किया, “बेटे को पढ़ाओ, बेटी बचाओ.”

ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में दो बच्चियों के साथ एक पुरुष अटेंडेंट ने यौन उत्पीड़न किया था, जिसे गिरफ़्तार कर लिया गया है.

बेंच ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए राज्य सरकार के एहतियात के संबंध में एक ज़रूरी बात और कही. 

प्राइवेट डॉक्टरों को भी जागरूक करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि वे POCSO अधिनियम के तहत बलात्कार पीड़िता की जांच करने से इनकार न करें. वो पीड़िताओं को पहले पुलिस के पास जाने के लिए नहीं कह सकते… और लड़कों की शिक्षा बहुत ज़रूरी मुद्दा है.

पिछले हफ़्ते जांच टीम ने इस मामले में पहचान परेड कराई, कॉल डेटा रिकॉर्ड निकाले और फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट भी निकलवाई. घटना के तुरंत बाद जो समिति बनी थी, उन्होंने भी अपनी रिपोर्ट पेश की. इसमें स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा उपायों की रूपरेखा बताई गई है.

सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ़ ने अदालत को बताया कि प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही आरोप पत्र दाख़िल किया जाएगा. सराफ़ ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा के पहलू पर ग़ौर करने के लिए एक समिति बनाई है.

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *