अमित मिश्र
प्रयागराज, 29 जून 2025:
यूपी के प्रयागराज जिले में रविवार को पहुंचे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर को पुलिस द्वारा हाउस अरेस्ट करने के बाद उपद्रव शुरू हो गया। उनके सैकड़ों समर्थकों ने पुलिस वाहनों समेत कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की। दो बाइक भी फूंक डालीं। यही नहीं पथराव के दौरान मची भगदड़ में कई लोग जख्मी हो गए। इस पूरे तमाशे के दौरान चंद्रशेखर सर्किट हाउस में मीटिंग करते रहे। पुलिस ने उपद्रव करने वाले एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।
बताया गया कि आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर करछना इलाके में एक घटना के पीड़ित परिवार से मिलने के लिए प्रयागराज पहुंचे। यहां आने की सूचना पर सैकड़ों की संख्या में समर्थक भी जमा थे। पीड़ित परिवार से मिलने से पहले ही पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर रोक दिया और सर्किट हाउस ले आई। यहां हाउस अरेस्ट होने की खबर फैलते ही करछना इलाके में जमा समर्थक बेकाबू हो गए।
भडेवरा बाजार क्षेत्र में अचानक तोड़फोड़ और पथराव शुरू कर दिया गया। आलम ये था कि राहगीर और अन्य लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। कई निजी वाहन और बच्चे व अन्य लोग इस प्रदर्शन की चपेट में आ गए। सड़क पर हंगामा कर रहे समर्थकों ने डायल 112 के वाहन पलट दिए पुलिस की अन्य गाड़ियां तोड़ दीं और बसों पर पथराव कर दिया। बसों समेत प्राइवेट गाड़ियों को भी तोड़ा गया है। भडेवरा बाजार में भीड़ ने आम नागरिकों पर ईंट-पत्थर चलाए। इससे मची भगदड़ में कई महिलाएं और बच्चों समेत 15 लोग जख्मी हो गए हैं। कई दुकानों पर पथराव कर शीशे तोड़े गए हैं। लोग जान बचाकर इधर उधर भागते नजर आए।
पुलिस ने लाठी भांजकर भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शन नहीं रुका। आखिरकार यमुनापार, नैनी, औद्योगिक क्षेत्र, करछना, घूरपुर, कौंधियारा, कीडगंज, बारा, मुट्ठीगंज थाने की फोर्स करछना पहुंच गई है। हालात काबू करने के लिए पीएसी और आरएएफ को भी मौके पर बुलाया गया। इस दौरान एक दर्जन से अधिक समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
इधर चंद्रशेखर ने कहा कि वह केवल पीड़ितों से मिलने और उनका दर्द सुनने के लिए आए थे, न कि किसी प्रदर्शन के लिए। वे उनसे मिलकर जमीनी सच्चाई जानना चाहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने 700 से 800 पुलिसकर्मियों को तैनात कर उन्हें रोक दिया। मैं जेल जाने को तैयार हूं, लेकिन पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए। अगर सरकार के पास छुपाने को कुछ नहीं है, तो मुझे रोका क्यों जा रहा है।