Uttar Pradesh

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “जनजातीय गौरव दिवस” पर अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का उद्घाटन किया

लखनऊ, 15 नवम्बर 2024:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर “जनजातीय गौरव दिवस” के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का उद्घाटन किया। यह उत्सव 15 से 20 नवंबर तक चलने वाला है।

भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष को याद करते हुए प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी ने भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि विदेशी सत्ता के दमनकाल में बिरसा मुंडा ने अपने समुदाय के अधिकारों और स्वाधीनता के लिए उल्लेखनीय संघर्ष किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के निर्णय का स्वागत किया और इसे भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान का सम्मान बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से जनजातीय समुदाय के लोग अपनी कला और परंपरा को प्रदर्शित करेंगे, जो उनके गौरवपूर्ण इतिहास और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

जनजातीय समाज के सशक्तीकरण के लिए सरकार के प्रयास

जनजातीय समाज के सशक्तीकरण के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 में सरकार बनने के बाद जनजातीय समुदाय की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि पिछली सरकारों में यह समाज योजनाओं के लाभ से वंचित था। उन्होंने थारू, कोल, चेरु, गोंड, बुक्सा जैसी जनजातियों के लिए “सैचुरेशन योजना” के तहत सरकारी लाभ पहुंचाने के अभियान का भी उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि जनजातीय समुदाय को प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय, एलपीजी कनेक्शन, वृद्धावस्था पेंशन, महिला पेंशन, और दिव्यांग पेंशन जैसी योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है।

जनजातीय संस्कृति के संरक्षण हेतु विशेष प्रयास

मुख्यमंत्री ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जनजातीय समुदाय की कला, परंपरा, और विरासत को संरक्षित करने के लिए म्यूजियम बनाए जा रहे हैं। बलरामपुर में थारू जनजाति की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए भव्य म्यूजियम का निर्माण किया गया है, जिसका उन्होंने दौरा भी किया। सोनभद्र और बिजनौर के बुक्सा जनजाति वाले क्षेत्रों में भी म्यूजियम बनाए जा रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपनी विरासत और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित हो सकें।

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