बीजिंग, 27 जून 2025
चीन की परंपरागत दवाओं की दुनिया में एक अहम नाम है ‘एजियाओ’ (Ejiao), जिसे गधे की खाल से तैयार किया जाता है। इस दवा की मांग में आई जबरदस्त बढ़ोतरी के चलते अब चीन की 58,000 करोड़ रुपये (करीब 6.8 अरब डॉलर) की इस इंडस्ट्री पर बड़ा संकट मंडराने लगा है। गधों की घटती आबादी के कारण इस उद्योग का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।
एजियाओ को चीन में महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने, रक्त संचार सुधारने और एंटी-एजिंग के लिए उपयोगी माना जाता है। जैसे-जैसे इस उत्पाद की मांग बढ़ी, वैसे-वैसे गधों की खाल के लिए उनका बड़े पैमाने पर वध शुरू हो गया। रिपोर्टों के मुताबिक, बीते दो दशकों में चीन में गधों की संख्या में लगभग 76% की गिरावट आई है। यही कारण है कि अब चीन अफ्रीका और एशिया के अन्य देशों से गधों का आयात कर रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में भी संकट गहराता जा रहा है।
भारत समेत कई देशों ने इस क्रूर व्यापार का विरोध किया है। कई अफ्रीकी देशों ने गधों के निर्यात और वध पर कानूनी रोक लगाई है। पशु अधिकार संगठन इसे न केवल पशु क्रूरता बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक मानते हैं, क्योंकि गांवों में गधे आज भी ढुलाई और परिवहन का अहम साधन हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार जारी रही, तो आने वाले वर्षों में गधे दुर्लभ प्रजातियों की सूची में आ सकते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एजियाओ के विकल्प खोजने और इस ट्रेड को नियंत्रित करने की अपील की जा रही है।
इस संकट ने चीन को न केवल नैतिक सवालों के कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि एक अरबों डॉलर की पारंपरिक औषधि इंडस्ट्री के भविष्य को भी अनिश्चित बना दिया है।