लखनऊ, 22 दिसंबर 2025:
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को उस वक्त सियासी तापमान अचानक बढ़ गया जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोडीनयुक्त कफ सिरप तस्करी रैकेट पर चर्चा के बीच विपक्ष पर तीखा तंज कसा। मुख्यमंत्री के देश में राजनीति के दो नमूने वाले बयान को समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने नेतृत्व पर सीधा हमला मानते हुए जोरदार विरोध किया। सदन में हंगामा, नोकझोंक और सपा विधायकों के वॉकआउट के साथ मामला और गरमा गया।

सदन में चर्चा के दौरान सीएम योगी ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि देश में राजनीति के दो नमूने हैं। एक दिल्ली में बैठते हैं और दूसरे लखनऊ में। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब देश में किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा शुरू होती है तो ऐसे लोग देश छोड़कर बाहर चले जाते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके बबुआ भी शायद इंग्लैंड की सैर पर निकल जाएंगे और आप लोग यहां सदन में चिल्लाते रह जाएंगे।
हालांकि मुख्यमंत्री ने किसी नेता का नाम नहीं लिया लेकिन सपा विधायकों ने इस टिप्पणी को अखिलेश यादव से जोड़ते हुए तीखा विरोध दर्ज कराया। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने मुख्यमंत्री की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को नमूना कहना सदन की गरिमा के खिलाफ है।
आत्म-स्वीकृति!
किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई यहाँ तक पहुँच जाएगी। संवैधानिक पदों पर बैठे लोग आपस में कुछ तो लोक-लाज रखें और मर्यादा की सीमा न लाँघें। भाजपाई अपनी पार्टी के अंदर की खींचातानी को चौराहे पर न लाएं। कहीं कोई बुरा मान गया तो वापस जाना पड़ेगा। pic.twitter.com/99SMGEgD7M
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 22, 2025
इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप करते हुए स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने किसी का नाम नहीं लिया है, इसलिए विपक्ष खुद को क्यों आरोपित मान रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में किसी भी सदस्य को नमूना नहीं कहा गया है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने भी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। जनता को गुमराह करने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कफ सिरप तस्करी जैसे गंभीर मामलों में मिसाल कायम करने वाली बड़ी कार्रवाई की है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद सपा विधायक संतुष्ट नहीं हुए और विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर गए। सदन के बाहर भी विपक्ष ने सरकार पर लोकतांत्रिक मर्यादाओं के उल्लंघन का आरोप लगाया।
उधर, मुख्यमंत्री के बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने लिखा… आत्म-स्वीकृति! किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई यहां तक पहुंच जाएगी। संवैधानिक पदों पर बैठे लोग आपस में कुछ तो लोक-लाज रखें और मर्यादा की सीमा न लांघें। भाजपाई अपनी पार्टी के अंदर की खींचतान को चौराहे पर न लाएं। कहीं कोई बुरा मान गया तो वापस जाना पड़ेगा।

सीएम के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सत्ता पक्ष इसे विपक्ष की अनावश्यक प्रतिक्रिया बता रहा है तो सपा इसे राजनीतिक शिष्टाचार और संवैधानिक गरिमा से जुड़ा गंभीर मुद्दा करार दे रही है।






