
नई दिल्ली, 2 मई 2025
कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना को लेकर अपनी आक्रामक रणनीति को और मजबूत बनाने में जुटी है, भले ही मोदी सरकार ने इसे लागू करने का निर्णय लिया हो। राहुल गांधी ने इस फैसले को कांग्रेस द्वारा उठाए गए लंबे संघर्ष का परिणाम बताया है, और पार्टी ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को और पुख्ता करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कांग्रेस का मानना है कि यह फैसला सरकार पर पार्टी के दबाव का नतीजा है और अब इसे अपने पक्ष में भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया था, जिससे कई राजनीतिक हलकों में हैरानी की लहर दौड़ गई थी। कांग्रेस ने इसे राहुल गांधी और पार्टी की वर्षों से चली आ रही मांग का नतीजा मानते हुए इसे अपना विजन बताया। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया और पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। कांग्रेस का तर्क है कि जातिगत जनगणना का श्रेय न केवल बीजेपी बल्कि पूरी तरह से पार्टी के दबाव का परिणाम है।
इस बीच, कांग्रेस की कार्यसमिति ने शुक्रवार को बैठक बुलाकर जातिगत जनगणना पर पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने का फैसला किया है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर ओबीसी और अन्य वंचित समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए तत्पर है, साथ ही पार्टी आरक्षण की सीमा को बढ़ाने की मांग को भी प्रमुख बनाना चाहती है।
कांग्रेस का उद्देश्य जातिगत जनगणना को सिर्फ आरक्षण तक सीमित न रखकर, सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूत करना है। कांग्रेस नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार ने इसे केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए किया है, लेकिन पार्टी इसे अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाए रखने के लिए लगातार सक्रिय रहेगी।