इस्माइलिया, 2 जून 2025:
मिस्र की एक अदालत ने टिक टॉक पर महिला के कपड़े पहनकर वीडियो बनाने वाले कई कंटेंट क्रिएटर्स को तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने उनके वीडियो को मिस्र के पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ और सार्वजनिक नैतिकता के विरोध में माना है। यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर विवादों का कारण बना है।
यह मामला मार्च महीने में शुरू हुआ, जब रमजान के दौरान सिनाई के शहर दहाब में सुरक्षा अधिकारियों ने कुछ लोगों को महिलाओं के कपड़े पहनकर और मेकअप करके अजीब व्यवहार करते हुए देखा। अधिकारियों को संदेह हुआ कि ये लोग इस्लामिक मूल्यों के विरुद्ध कुछ कर रहे हैं। इन्हें हिरासत में लेकर जांच की गई।
जांच में पाया गया कि मुख्य आरोपी अल-ज़ीन टिक टॉक पर क्रॉस-ड्रेसिंग करते हुए और अनुचित डांस करते हुए वीडियो पोस्ट करता था। उसने दावा किया कि उनका उद्देश्य केवल मनोरंजन और फॉलोअर्स बढ़ाना था, न कि सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करना। हालांकि अदालत ने उसकी बात नहीं मानी और 2018 के साइबर अपराध विरोधी कानून के तहत उन्हें दोषी ठहराया।
मिस्र की पुलिस और अदालत ने यह सजा सार्वजनिक नैतिकता और पारिवारिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए दी है। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और पारंपरिक सामाजिक मूल्यों के बीच टकराव की तस्वीर पेश करता है।
सजा के फैसले के बाद सोशल मीडिया और मानवाधिकार संगठनों में इस निर्णय को लेकर व्यापक आलोचना हुई है। कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मान रहे हैं, वहीं मिस्र सरकार का कहना है कि यह फैसला समाज की रक्षा के लिए जरूरी था।
यह घटना सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएटर्स की आज़ादी और सामाजिक मान्यताओं के बीच संतुलन की चुनौती को उजागर करती है। मिस्र जैसे पारंपरिक समाजों में यह मुद्दा और भी संवेदनशील है, जहां सांस्कृतिक और धार्मिक नियम कड़ाई से लागू होते हैं।