हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 1 जुलाई 2025:
गोरखपुर जिले में मंगलवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण होने के बाद आज की तारीख यूपी के इतिहास में दर्ज हो गई। राष्ट्रपति ने भटहट के पिपरी क्षेत्र स्थित विश्वविद्यालय का लोकार्पण करने के बाद सीएम के प्रयासों को सराहा। कहा कि गोरखपुर योगभूमि है और विश्वास जताया कि ये विश्वविद्यालय’ परंपरा और आधुनिकता के संगम के नए प्रतिमान स्थापित करेगा।
रुद्राक्ष का पौधा रोपीकर वन महोत्सव का किया आगाज, प्रदर्शनी में देखा ‘नया उत्तर प्रदेश’
पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्र में 268 करोड़ से बनकर तैयार हुए आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, वीरेंद्र प्रताप शाही, दयाशंकर मिश्र दयालु,संजय निषाद व सासंद रविकिशन व कुलपति के. रामचंद्र रेड्डी भी मौजूद रहे। राष्ट्रपति ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत रूद्राक्ष का पौधा रोप कर यूपी में वन महोत्सव का आगाज कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘नए उत्तर प्रदेश’ की प्रगति से जुड़ी प्रदर्शनी का जायजा भी लिया। इस दौरान सीएम उन्हें प्रदर्शनी में लगे विकास कार्य व योजनाओं से जुड़े चित्रों के बारे में जानकारी भी देते रहे।
गुरु गोरखनाथ ने अक्षय आध्यात्मिक ऊर्जा दी, परम्पराओं का पूरी मानवता पर प्रभाव
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने लोकार्पण समारोह में अपने सम्बोधन के दौरान कई दफा सीएम योगी की कार्यशैली को सराहा। उन्होंने आगे कहा कि ‘हठयोग’ की प्रतिष्ठा करके महायोगी गुरु गोरखनाथ ने राष्ट्र के समग्र पुनर्जागरण का कार्य किया। मुझे विश्वास है कि ‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ परंपरा और आधुनिकता के संगम के नए प्रतिमान स्थापित करेगा। प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट परिकल्पना और निर्माण को दिशा एवं गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री ने सराहनीय कार्य किया है। गुरु गोरखनाथ के बारे में कहा गया है कि आदि गुरु शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली महापुरुष भारत में दोबारा नहीं हुआ। गोरखपुर ‘योगभूमि’ है। गुरु गोरखनाथ ने तो इस क्षेत्र को अक्षय आध्यात्मिक ऊर्जा से समृद्ध किया ही है, ये परमहंस योगानन्द की जन्मभूमि भी है। आप सभी ऐसे महान स्थानीय परंपराओं से जुड़े हुए हैं, जिनका राष्ट्रीय महत्व है, जिनका पूरी मानवता पर प्रभाव है। 18वीं सदी के संन्यासी विद्रोह से लेकर 1857 के स्वाधीनता संग्राम तक गोरखपुर नाथ पंथ के योगी, जनकल्याण और स्वाधीनता संग्राम का सूत्रधार रहा है। इस धरती से बाबू बंधु सिंह व रामप्रसाद बिस्मिल जैसे बलिदानियों की गाथाएं जुड़ी हैं।
आयुष विवि मेडिकल एजुकेशन व चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थऱ बनेगा
यह विश्वविद्यालय समृद्ध, प्राचीन परंपराओं का नवनिर्मित व प्रभावशाली आधुनिक केंद्र है। यह उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन व चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थऱ साबित होगा। यहां उच्च स्तरीय सुविधाओं का निर्माण किया गया है, जिनका लाभ जनसामान्य को सुलभ होगा। इस विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज उत्कृष्टता से लाभान्वित हो रहे हैं। आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्चतम उपाधियों के स्तर पर भी शिक्षण एवं शोध कार्य किया जाएगा। यहां आयुष पद्धति से जुड़े रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शिक्षा दी जाएगी। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विश्वस्तरीय व स्वीकार्य बनाने के लिए शोध कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा।
आयुर्वेद औषधियों की एक्सपायरी डेट नहीं होती, गीता प्रेस ने जनमानस को धर्म संस्कृति से जोड़ा
आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा आदि भारत के पुरातन प्रणालियों में स्वस्थ रहने की वैज्ञानिक पद्धति बताई गई है। 100 वर्ष से अधिक आयु तक सभी इंद्रियों को समर्थ बनाए रखने के लिए प्राचीन विधियां प्रमाणित करती है कि इन पर आधारित पारंपरिक जीवनशैली बहुत अच्छी थी। हमें उसका अनुसरण करना पड़ेगा। आयुर्वेद हमारे जंगलों में छिपा हुआ है। इन पर आधारित औषधियों की एक्सपायरी डेट नहीं है। जबकि ऐलोपैथी की दवा में एक्सपायरी डेट होती है। सेहत ही संपदा है। आज से ही हम लोगों को प्रयास करना होगा, तभी हम आगे के लिए तैयार हो पाएंगे। लगभग 100 वर्ष से गीताप्रेस गोरखपुर ने भारत के जनमानस को धर्म व संस्कृति से जोड़े रखने का महान कार्य किया है। गीताप्रेस का प्रकाशन संस्कृत व हिंदी के अलावा अनेक भाषाओं में उपलब्ध है। ओड़िया भागवत के नाम से विख्यात अतिबड़ी जगन्नाथ दास द्वारा रचित भागवत महापुराण को ओडिशा के लोग सम्मान से पढ़ते हैं।
सीएम का समर्पण भाव अद्भुत
राष्ट्रपति ने अथक शब्द की चर्चा की और कहा कि अथक मतलब थकना मना है। दिन रात परिश्रम करना पड़ेगा। निद्राजीत बनना है। डॉक्टर कहते है कि 6 से 8 घंटे आपको सोना पड़ेगा। नहीं तो आपका शरीर साथ नहीं देगा लेकिन CM योगी कहते हैं निद्रा पर जय करने के लिए आपको योग करना होगा। योग करने से 8 घंटे की नींद 3 घंटे में पूरी हो जाएगी। सीएम योगी का अथक परिश्रम और उनका जनता के प्रति समर्पण भाव अद्भुत है।
गोरखपुर में इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से हो रहा विकास
गोरखपुर में कुछ वर्षों से इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत तेज गति से विकास हो रहा है। गोरखपुर इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी (गीडा) की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। यहां के टेरोकाटा के कलात्मक उत्पाद देश-विदेश में निरंतर लोकप्रिय हो रहे हैं। यहां के निवासियों में ऐसी अनेक उपलब्धियों से नई ऊर्जा व आकांक्षा का संचार हो रहा है।
सीएम ने कहा- हर जिले में बनेंगे 100 बेडेड आयुष वेलनेस सेंटर
लोकार्पण समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि जहां आयुष पद्धति का अभी कोई महाविद्यालय नहीं है, उन मंडलों में भी एक-एक कॉलेज स्थापित करेंगे। हर जनपद में आरोग्यता के लिए एक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनेगा, जो कम से कम 100 बेड्स का होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में आज आयुष मंत्रालय अपनी परंपरागत आरोग्यता की पद्धति का अनुसरण करते हुए संपूर्ण आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है। आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एंड नेचुरोपैथी से जुड़ी हुई आरोग्यता की उस विधा का लाभ न केवल यहां के लोग ले पाएंगे, बल्कि उसके रिर्सच एंड डेवेलपमेंट के एक नए केंद्र के रूप में यहां के किसानों एवं नौजवानों के लिए ट्रेडिशनल मेडिसिन में नए रोजगार की संभावनाओं को विकसित करने में भी इस विश्वविद्यालय की एक बड़ी भूमिका होगी। प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप भारत ‘हेल्थ टूरिज्म’ के एक नए डेस्टिनेशन के रूप में दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर सके। इस दृष्टि से ये आयुष विश्वविद्यालय एक निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा।
किसानों नौजवानों को मिलेगा रोजगार
किसानों और नौजवानों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने में भी आयुष विश्वविद्यालय की बड़ी भूमिका होगी। इस विश्वविद्यालय के जरिये औषधीय पौधों की खेती रोजगार बढ़ाने में मददगार होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को हेल्थ टूरिज्म के नए रूप में आकर्षित करने में भी आयुष विश्वविद्यालय निर्णायक साबित होगा। इसके साथ ही सरकार ने प्रदेश के उन छह मंडलों में मंडल मुख्यालय स्तर पर एक-एक आयुष महाविद्यालय बनाने का निर्णय लिया है जो अब तक ऐसे महाविद्यालय की सुविधा से वंचित थे।
गवर्नर बोलीं… ‘एक गांव-एक औषधीय पौधा’ की शुरुआत करें किसान
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किसानों से मुखातिब होकर कहा कि वे ‘एक गांव-एक औषधीय पौधा’ अभियान की शुरुआत करें। आयुष विश्वविद्यालय के रूप में पूर्वांचल में आयुर्वेद का बड़ा सेंटर शुरू हो रहा है और इसके माध्यम से औषधीय खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। आयुष विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के किसान औषधीय पौधो की खेती कर अधिक आर्थिक उपार्जन कर सकते हैं। इससे बिना हानि वाली दवाएं बनेंगी और जनता का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि एक गांव में एक किस्म के तो दूसरे गांव में दूसरी किस्म के औषधीय पौधे लगाए जाएं।