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पुण्यतिथि विशेष: जिसने भारत को सितारों तक देखने की हिम्मत दी! जानिए इसरो के जनक विक्रम साराभाई की अनकही कहानी

विक्रम साराभाई एक दूरदर्शी वैज्ञानिक थे, जिनकी सोच और नेतृत्व ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को जन्म दिया और विज्ञान को राष्ट्र निर्माण से जोडा। उनकी विरासत आज भी इसरो और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के रूप में जीवित है

न्यूज डेस्क, 30 दिसंबर 2025:

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका जाना सिर्फ एक व्यक्ति का जाना नहीं होता, बल्कि एक पूरे युग का थम जाना होता है। विक्रम साराभाई भी ऐसे ही वैज्ञानिक थे, जिनकी सोच ने भारत को धरती से अंतरिक्ष तक देखने की नजर दी। उन्होंने विज्ञान को प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे आम जनजीवन और राष्ट्र निर्माण से जोडा। आज उनकी पुण्यतिथि पर वह दूरदर्शी वैज्ञानिक याद किए जा रहे हैं, जिनकी कल्पना और संकल्प ने भारत के अंतरिक्ष सपनों को साकार रूप दिया।

नींद में दुनिया को कहा अलविदा

भारत के महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई का 30 दिसंबर 1971 को नींद के दौरान उनका निधन हो गया था। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था। विज्ञान और शोध के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के कारण उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है। उनके कार्यों को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1966 में पद्म भूषण और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

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समृद्ध परिवार, लेकिन ऊंचे सपने

विक्रम साराभाई का जन्म अहमदाबाद के एक प्रतिष्ठित व्यवसायिक परिवार में हुआ था, जहां संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने आरामदायक जीवन की जगह ज्ञान और अनुसंधान को चुना। प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी करने के बाद वे उच्च अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंट जॉन्स कॉलेज गए, जहां उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की और वैज्ञानिक सोच को और मजबूत किया।

भारत लौटकर रखी विज्ञान की नींव

अमेरिका से भारत लौटने के बाद विक्रम साराभाई ने नवंबर 1947 में अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लैबरेटरी की स्थापना की। शुरुआती दौर में यह संस्थान शुद्ध वैज्ञानिक अनुसंधान तक सीमित था, लेकिन यही प्रयोगशाला आगे चलकर भारत के अंतरिक्ष भविष्य की आधारशिला बनी। विज्ञान को समाज और विकास से जोडने की सोच यहीं से आकार लेने लगी।

इसरो की सोच और साकार रूप

विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के कारण 1962 में भारत सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की, जिसे इन्कोस्पार के नाम से जाना गया। बाद में 15 अगस्त 1969 को इसी सोच ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो का रूप लिया। विक्रम साराभाई इसरो के पहले अध्यक्ष बने और उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक स्पष्ट दिशा और उद्देश्य दिया।

अंतरिक्ष अनुप्रयोग की नई राह

साराभाई ने अहमदाबाद में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र की स्थापना भी की, जिसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। उनका मानना था कि अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग केवल वैज्ञानिक प्रयोगों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका लाभ शिक्षा, संचार और ग्रामीण विकास तक पहुंचना चाहिए। Unnao Rape Case 

शादी भी बनी इतिहास का हिस्सा

विक्रम साराभाई का निजी जीवन भी अपने आप में खास रहा। उनकी शादी प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी स्वामिनाथन से हुई थी, लेकिन इस विवाह में उनका परिवार शामिल नहीं हो सका। दरअसल उस समय देश में भारत छोडो आंदोलन अपने चरम पर था और आंदोलनकारियों ने रेल पटरियां उखाड दी थीं। इसी कारण परिवार के सदस्य उनकी शादी में पहुंच नहीं पाए।

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