एमएम खान
लखनऊ, 6 नवंबर 2025:
राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज में खाकी ने फर्ज और इंसानियत की मिसाल पेश की। जब अपने ही खून के रिश्तों ने मुंह मोड़ लिया, तब पुलिस ने न केवल कंधा दिया बल्कि मृतका का अंतिम संस्कार भी करवाया। जिसने भी ये दृश्य देखा और बात सुनी उसने वर्दी के इस मानवीय पहलू की सराहना की।
मोहनलालगंज के उत्तरगांव के मजरा राधाकृष्ण खेड़ा निवासी 30 वर्षीय रेनू की प्रसव के बाद बुधवार सुबह मौत हो गई। पति आलोक ने जब मायके और ससुराल वालों से अंतिम संस्कार में मदद मांगी तो सभी ने साफ इंकार कर दिया। ऐसे में निराश आलोक ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई।
करीब दो वर्ष पूर्व आलोक पुत्र गणेश प्रसाद ने गांव की ही रेनू से प्रेम विवाह किया था। इस विवाह से दोनों परिवार नाराज चल रहे थे। शादी के बाद दंपती हरकंशगढ़ी में किराए के मकान में रह रहे थे। तीन दिन पहले रेनू ने बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन नवजात की मौत हो गई थी।
मंगलवार को तबीयत बिगड़ने पर आलोक उसे लोकबंधु अस्पताल लेकर गया, जहां से डॉक्टरों ने केजीएमयू रेफर कर दिया। आर्थिक तंगी के चलते वह उसे घर वापस ले आया, जहां बुधवार सुबह रेनू की मौत हो गई।
पति ने परिजनों से संपर्क किया, लेकिन दोनों पक्षों ने मदद से इंकार कर दिया। सूचना मिलने पर चौकी इंचार्ज निमेष दुबे, हेड कांस्टेबल सर्वेश कुमार और महिला कांस्टेबल सपना गुप्ता मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों परिवारों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब कोई आगे नहीं आया तो पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से महिला का अंतिम संस्कार कराया।






