अमित मिश्र
प्रयागराज, 5 अगस्त 2025 :
यूपी के तीर्थराज प्रयागराज बाढ़ की चपेट में है। गंगा और यमुना खतरे के निशान (86 मीटर) को पार कर चुकी हैं और शहर के अधिकांश निचले इलाकों में पानी भर चुका है। हालात ऐसे हैं कि कई मोहल्लों की गलियों में नाव ही एकमात्र रास्ता बचा है और कई लोगों ने अब इन नावों को ही अपना अस्थायी घर बना लिया है।
बता दें कि प्रयागराज में 2013 के बाद बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। गंगा-यमुना के कहर ने हर कोने में पानी-पानी कर दिया है। सैकड़ों परिवार प्रभावित हैं, सड़कों पर सन्नाटा पसरा है और हर कोई इस इंतजार में है कि जलस्तर जल्द घटे ताकि फिर से ज़िंदगी सामान्य हो सके। इन सबके बीच पानी से घिरे सदियापुर में बुजुर्ग दंपत्ति का घर डूब चुका है। अब उन्होंने नाव पर ही अपना ठिकाना बना लिया है। पानी से घिरी गलियों में कोई साधन नहीं, इसलिए वे यहीं खाना बनाते हैं, यहीं सोते हैं और इसी पर जीवन की नाव आगे बढ़ा रहे हैं। एक गली में दोनों ओर बसे 16 परिवार घरों की दूसरी मंजिल पर रहने को मजबूर हैं। नीचे की मंजिल पूरी तरह जलमग्न हैं, और बाहर आने-जाने का कोई ज़रिया नहीं बचा। एक परिवार ने लकड़ी की सीढ़ी लगाकर अपने पड़ोसी की छत से होकर बाहर निकलने का रास्ता तैयार किया है जहां से वे जरूरत का सामान खरीदकर उसी रास्ते से लौटते हैं। वही इस गली में एक बुजुर्ग महिला पानी मे डूबे अपने घर की छत पर रह रहीं हैं। उन्हें यहां बारिश की मार भी झेलनी पड़ रही है।
यही हाल मीरापुर इलाके का है। एक तीन मंजिला मकान की छत पर घर के लोगों ने डेरा डाल रखा है। कई घरों को खाली कराकर लोग राहत शिविरों में भेजे जा चुके हैं, लेकिन कुछ लोग अब भी घर की रखवाली के लिए डटे हुए हैं क्योंकि बाढ़ के बीच चोरी की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं। कई परिवारों का कहना है कि उन्हें ना नाव मिली, ना राहत, और अचानक आए पानी ने उनका जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्रशासन मदद की कोशिश कर रहा है, लेकिन साधनों की कमी और तेजी से बिगड़ते हालात के आगे वह भी जूझता दिख रहा है।