
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 28 जुलाई 2025:
यूपी के गोरखपुर जिले में खजनी क्षेत्र में सरया तिवारी गांव स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर लाखों शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है। इतिहास बताता है कि मुगल आक्रान्ता महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की नाकाम हुआ तो पूजा रोकने के लिए ‘कलमा’ खुदवा दिया लेकिन शिवलिंग पर उसकी क्रूरता आस्था से हार गई। सैकड़ों साल से सिर्फ सावन नहीं पूरे साल यहां शिवभक्त अपने आराध्य का जलाभिषेक करते हैं।
सावन मास शिवभक्तों के लिए पर्व के समान होता है इस दौरान शिवालयों में दिन रात पूजा अर्चना होती रहती है। जिले के खजनी क्षेत्र में सरया तिवारी गांव स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर एक ऐसा शिवालय है जहां सावन मास, सोमवार व अन्य दिनों के साथ पूरे साल शिवभक्त अपने आराध्य के दर्शन करने आते है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग बेहद खास है। मान्यता है कि मुगल आक्रांता महमूद गजनवी की क्रूरता भी आस्था की ताकत से हार गई।
बताया जाता है कि महमूद गजनवी ने मंदिर को ध्वस्त कर स्थित शिवलिंग को तोड़ने का पूरा प्रयास किया, लेकिन जब वो शिवलिंग को तोड़ने में नाकामयाब रहा, तो महमूद गजनवी ने शिवलिंग पर उर्दू में ‘‘ला इलाहा इलाल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह‘ कलमा लिखवा दिया। गजनवी ने सोचा था कि वह कलमा खुदवा देगा, तो लोग इसकी पूजा नहीं करेंगे. लेकिन, महमूद गजनवी के आक्रमण के सैकड़ों साल बाद भी हिन्दू श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के साथ दूध और चंदन आदि का लेप भी लगाते हैं।
सावन मास में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है. यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आत हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति की मन्नतें भी मांगते हैं। गांववालों का कहना है कि इस मंदिर के आसपास के टीलों की खुदाई में जो नर कंकाल मिले। उनकी लम्बाई तकरीबन 12 फीट थी. उनके साथ कई भाले और दूसरे हथियार भी मिले थे, जिनकी लम्बाई 18 फीट तक थी। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाया है और यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं। मान्यता ये भी है कि इस मंदिर के बगल में स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्ठ रोग से पीडि़त राजा का कुष्ठ ठीक हो गया था और तभी से लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये आकर यहां पांच मंगलवार और रविवार को स्नान करते हैं।






