Uttar Pradesh

मदरसे… आम स्कूलों से कितनी अलग होती है पढ़ाई, कैसे होता है संचालन

लखनऊ 6 नवंबर 2024


सुप्रीम कोर्ट से यूपी के मदरसों के लिए मंगलवार को राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक अहम फैसला सुनाया और यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को संवैधानिक करार दिया। इस फैसले से राज्य के करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता है। इस फैसले के बाद ये साफ हो गया कि यूपी में करीब 16 हजार मदरसे पहले की तरह चलते रहेंगे। इस फैसले के बाद आम लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ी है कि मदरसे कितनी तरह के होते हैं। इनमें आम स्कूलों से किस तरह पढ़ाई अलग है।

दो तरह से होता है मदरसों का संचालन

जानकार बताते हैं कि देश में दो तरह के मदरसे होते हैं। एक वे, जो चंदे पर चलते हैं। दूसरे वे होते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलती है। मदरसों में भी हॉस्टल सिस्टम होता है। सरकार लगातार मदरसों के सिस्टम में बदलाव करती रहती है। सरकार ने अब मदरसों में एनसीईआरटी कोर्स भी लागू कर दिया है।

2004 में बना मदरसा एक्ट, 2017 में बनाया गया मदरसा पोर्टल

आपको बता दें 2004 में मदरसा एक्ट बनाया गया था। इसके तहत सभी मदरसे सरकार के नियमों के अधीन रखे गए हैं। मुस्लिम लीडर्स और मौलानाओं का तर्क था कि अगर मदरसे खत्म कर दिए गए तो मजहब से जुड़ी तालीम नहीं मिल पाएगी। उनका दावा था कि मदरसे सरकार के आदेश के हिसाब से ही चल रहे हैं। उनके सिलेबस को मदरसों में लागू किया जा रहा है ऐसे में मदरसों को लेकर जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया, उसका मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं ने स्वागत किया। यूपी में 2017 में योगी सरकार बनने के बाद मदरसा पोर्टल बनाया गया। पोर्टल का नतीजा ये हुआ कि बड़े पैमाने पर फर्जी मदरसे बंद हो गए। 2017 के पहले यूपी में 22 हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त  मदरसे थे जो पोर्टल बनने के बाद 16500 रह गए। मदरसों में बच्चे नकल न कर सके इसके लिए सेंटर्स में वेब कैमरे लगाए गए। यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराया गया जिनमे मदरसों को मिलने वाले चंदे पर भी सवाल हुए। सरकार ने मदरसों को मिलने वाले चंदे की SIT जांच के भी आदेश दिए।

मदरसों में पढ़ाई…प्राइमरी स्कूल स्तर को तहतानिया, जूनियर हाईस्कूल लेवल की पढ़ाई को कहते हैं फौकनिया

सामान्य तौर पर प्राइमरी, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट और उसके बाद ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन के आधार पर पढ़ाई होती है लेकिन मदरसों में तहतानिया, फौकानिया और आलिया के स्तर पर तालीम दी जाती है। मदरसों में प्राइमरी स्कूल स्तर को तहतानिया, जूनियर हाईस्कूल लेवल की पढ़ाई को फौकनिया कहते हैं। इसके बाद आलिया की पढ़ाई होती है। इसमें मुंशी- मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल की पढ़ाई होती है। मदरसों में धार्मिक शिक्षा के अलावा अन्य विषय भी होते हैं। लेकिन इनके नाम उर्दू में ही होते हैं। उदाहरण के लिए, मुंशी से लेकर फाजिल तक बच्चे हिंदी, गृह विज्ञान, सामान्य हिंदी, विज्ञान के साथ ही मुताल-ए-हदीस, मुताल-ए-मजाहिब, फुनूदे अदब, बलागत, मुताल-ए-फिक्ह इस्लामी, मुताल-ए-उसूले फिक्ह की पढ़ाई करते हैं।

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