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रिटायरमेंट की तैयारी में लाखों प्राइवेट कर्मचारियों की बड़ी कमी

नई दिल्ली, 4 जून 2025

भारत में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले आधे से अधिक वेतनभोगी कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट की योजना नहीं बना पा रहे हैं। ग्रांट थॉर्नटन भारत द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि करीब 50% प्राइवेट सेक्टर के सैलरीड प्रोफेशनल्स के पास रिटायरमेंट प्लानिंग का अभाव है। हालांकि वे आज एक स्थिर नौकरी और आय पर निर्भर हैं, लेकिन रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए उनकी तैयारी नाकाफी है।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इन कर्मचारियों में से आधे लोग अपनी तनख्वाह का मात्र 1% से 10% हिस्सा ही पेंशन फंड में डालते हैं। इसके अलावा अधिकांश लोग केवल पारंपरिक स्कीम्स जैसे EPF, ग्रैच्युटी और NPS पर भरोसा करते हैं, जिससे उनकी निवेश योजनाओं में विविधता कम होती है।

यह स्थिति दर्शाती है कि वित्तीय जागरूकता की कमी और आर्थिक प्राथमिकताओं के चलते वेतनभोगी कर्मचारी रिटायरमेंट की बचत को प्राथमिकता नहीं दे पा रहे हैं। 55% प्रतिभागी हर महीने ₹1 लाख से अधिक पेंशन की उम्मीद करते हैं, लेकिन केवल 11% ही मानते हैं कि उनकी वर्तमान बचत इस उम्मीद को पूरा कर पाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि रिटायरमेंट की योजना जितनी जल्दी बनाई जाए, उतना बेहतर होता है। 25 से 30 वर्ष की उम्र में सही निवेश शुरू करने से 60 वर्ष की आयु तक एक मजबूत फंड तैयार किया जा सकता है। एनपीएस, म्यूचुअल फंड SIP और PPF जैसे विकल्प इस दिशा में सहायक साबित हो सकते हैं।

इस सर्वे से स्पष्ट होता है कि भारत में रिटायरमेंट योजना और वास्तविक तैयारी के बीच बड़ी खाई है, जिसे वित्तीय शिक्षा और जागरूकता बढ़ाकर कम करने की आवश्यकता है ताकि कर्मचारी सुरक्षित और सम्मानजनक जीवनयापन कर सकें।

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