झारखंड, 13 सितम्बर 2024
केंद्र सरकार ने झारखंड में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों को लेकर उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है। यह हलफनामा गुरुवार को झारखंड उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह जानकारी दी गई कि झारखंड राज्य में बड़ी संख्या में अवैध रूप से रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी साहिबगंज और पाकुड़ जिलों के रास्ते अवैध रूप से झारखंड में प्रवेश कर चुके हैं।
मुख्य बिंदु
हलफनामे में आदिवासी भूमि को ‘दानपत्र’ (उपहार) के आधार पर मुसलमानों को हस्तांतरित करने का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि आदिवासियों के बड़े पैमाने पर धर्मांतरण और उनके बीच कम जन्म दर के कारण आदिवासी आबादी में काफी कमी आई है। गृह मंत्रालय में अवर सचिव प्रताप सिंह रावत द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, संथाल परगना से आदिवासियों का पलायन भी उनकी घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है।
यह उल्लेखनीय है कि झारखंड उच्च न्यायालय संथाल परगना में आदिवासियों के धर्मांतरण पर सोमा उरांव द्वारा दायर जनहित याचिका और बांग्लादेशियों के अवैध प्रवास पर दानियाल दानिश द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसी संदर्भ में केंद्र को नोटिस जारी किया गया था, जिसके जवाब में केंद्र ने हलफनामा दाखिल किया। इसमें झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की गई है।
उरांव ने अपनी याचिका में दावा किया है कि संथाल परगना में योजनाबद्ध तरीके से आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को दूसरे धर्म अपनाने के लिए बहकाया जा रहा है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि अवैध अप्रवासियों ने जमीन खरीदना शुरू कर दिया है और राज्य के निवासी के रूप में खुद को साबित करने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं।मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।