नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025
– चीन के विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे के बाद बीजिंग ने दावा किया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थन किया और ताइवान को चीन का हिस्सा माना. हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि उसके रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है और चीन का बयान तथ्यों से परे है.
18 अगस्त को वांग यी और जयशंकर के बीच बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है. लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ताइवान को लेकर उसकी नीति वही है, जो अब तक रही है. सूत्रों के अनुसार भारत ने कहा कि उसका ताइवान के साथ रिश्ता आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर केंद्रित है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा.
ताइवान मुद्दे पर लंबे समय से चीन और ताइवान आमने-सामने हैं. 1949 में चीनी गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रवादी सरकार ताइवान चली गई थी और वहां चीन गणराज्य (ROC) की स्थापना की गई. वहीं, मुख्य भूमि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की नींव रखी. बीजिंग लगातार दावा करता है कि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है और उसे किसी भी हाल में अपने नियंत्रण में लाया जाएगा.
भारत परंपरागत रूप से 2010 के बाद से संयुक्त बयानों में ‘वन चाइना पॉलिसी’ का सीधा उल्लेख करने से बचता रहा है और रणनीतिक अस्पष्टता बनाए रखता है. हालांकि भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन अनौपचारिक और व्यापारिक संपर्क काफी मजबूत हैं. ताइपे में भारत-ताइपे एसोसिएशन भारत का वास्तविक दूतावास मिशन है, जबकि नई दिल्ली और चेन्नई में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (TECC) सक्रिय हैं. हाल ही में 2024 में मुंबई में भी एक नया TECC खोला गया है, जिस पर चीन ने कड़ा विरोध जताया था.
भारत ने स्पष्ट किया है कि चीन द्वारा फैलाया गया यह दावा पूरी तरह भ्रामक है और उसकी विदेश नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.