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डिफेंस अपग्रेड में जुटा भारत, ऑपरेशन सिंदूर के बाद 52 सैटेलाइट प्रोग्राम ने पकड़ी रफ्तार, 2029 तक तैनाती की तैयारी

नई दिल्ली, 30 जून 2025 

चीन से मिल रही लगातार चुनौतियों के बीच भारत अब सैटेलाइट के ज़रिए अपनी डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुश्मन के इलाकों पर सटीक और लगातार निगरानी की जरूरत ने भारत को अंतरिक्ष से निगरानी की ताकत बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

इसी कड़ी में भारत 52 स्पेशल डिफेंस सैटेलाइट्स (SDS) के प्रोग्राम को रफ्तार देने में जुटा है। यह महत्वाकांक्षी मिशन रक्षा मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) के अंतर्गत डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) की निगरानी में पूरा किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने पिछले साल अक्टूबर में स्पेस बेस्ड सर्विलांस (SBS) प्रोग्राम के तीसरे चरण को मंजूरी दी थी, जिसके तहत 26,968 करोड़ रुपये की लागत से 52 सैटेलाइट्स को तैयार और लॉन्च करने की योजना है।

इन सैटेलाइट्स में से 21 इसरो बनाएगा जबकि 31 सैटेलाइट्स का निर्माण तीन निजी कंपनियों को सौंपा गया है। पहला सैटेलाइट अप्रैल 2026 तक लॉन्च किया जाएगा और पूरे मिशन की तैनाती 2029 के अंत तक पूरी होने की संभावना है।

इन सैटेलाइट्स को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा ताकि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की गतिविधियों पर तेज़ और बार-बार निगरानी रखी जा सके। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने न सिर्फ घरेलू कार्टोसैट सैटेलाइट्स का इस्तेमाल किया था बल्कि विदेशी कमर्शियल सैटेलाइट्स से भी डेटा प्राप्त किया था।

सूत्रों के अनुसार, यह पूरी सीरीज़ भारत के OODA (Observe, Orient, Decide, Act) लूप को और अधिक सशक्त बनाएगी। इसके अलावा भारतीय वायुसेना भी 3 हाई एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना में है, जो बिना पायलट वाले विमान हैं और स्ट्रेटोस्फेयर में लंबे समय तक निगरानी मिशन पर तैनात रह सकते हैं।

उधर, चीन ने 2010 में जहां 36 सैटेलाइट्स से सैन्य अंतरिक्ष अभियान शुरू किया था, वहीं अब वह 2024 तक 1,000 से अधिक सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है, जिनमें से 360 निगरानी और खुफिया कार्यों के लिए हैं। PLA Aerospace Force के गठन के बाद चीन अंतरिक्ष को आधुनिक युद्ध का “अल्टीमेट हाई ग्राउंड” मानते हुए LEO में डॉगफाइटिंग जैसी युद्ध रणनीतियों पर काम कर रहा है।

ऐसे में भारत की यह रणनीतिक तैयारी भविष्य में चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधी देशों से निपटने के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।

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