National

भारत ने कट्टरपंथियों को झटका, तस्लीमा नसरीन का समर्थन

नई दिल्ली,23 अक्टूबर 2024

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जो कट्टरपंथियों की कठपुतली मानी जाती है, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत से प्रत्यर्पण चाहती है, यह बताते हुए कि 2013 में दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि हुई थी। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि हसीना सुरक्षा कारणों से भारत में हैं और यहीं रहेंगी। इस स्थिति के बीच, भारत ने बांग्लादेश में स्वनिर्वासन झेल रही लेखिका तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंसी परमिट नवीनीकरण कर दिया है, जो मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। तस्लीमा ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से सहायता मांगी थी।

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर कट्टरपंथियों ने हिंसा से जुड़े कई से हंगामे किए , जिसमें अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं, की हत्या और अत्याचार हुए। तसलीमा नसरीन को मुस्लिम कट्टरपंथियों का कोपभाजन उनकी बहुचर्चित किताब “लज्जा” की वजह से बनना पड़ा, जिसमें उन्होंने 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न का वर्णन किया था। इस किताब के कारण 1993 में कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया, जिसके बाद उन्हें अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। वे तब से भारत में रह रही हैं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बार-बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जबकि वह 5 अगस्त को अपनी जान बचाने के लिए भारत आई थीं और दिल्ली में कड़ी सुरक्षा में रह रही हैं। हाल ही में, बांग्लादेश की अदालत ने हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है, और उन्हें 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हसीना अपनी सुरक्षा के लिए भारत आई हैं। जबकि बांग्लादेश की सरकार 2013 की प्रत्यर्पण संधि का हवाला दे रही है, इस संधि में राजनीतिक अपराधों के मामले में प्रत्यर्पण को ठुकराने का प्रावधान है। भारत इस मामले में सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहा है और सीधे टिप्पणी करने से बचता रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button