
विंडहोक (नामीबिया), 9 जुलाई 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों के दौरे के अंतिम चरण में नामीबिया पहुंचे हैं। 27 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले वर्ष 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नामीबिया की यात्रा की थी। पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-नामीबिया द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा और मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से अहम मानी जा रही है।
भारत और नामीबिया के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। 1946 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में नामीबिया की आजादी का मुद्दा उठाया था और SWAPO को समर्थन देने वाला पहला देश बना था। भारत ने रंगभेदी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नामीबिया के मुक्ति संघर्ष में सैन्य प्रशिक्षण तक की पेशकश की थी। आजादी के बाद भी दोनों देशों के संबंध लगातार मजबूत हुए हैं।
पीएम मोदी की यात्रा से रक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं बढ़ी हैं। भारत द्वारा नामीबिया विश्वविद्यालय में इंडिया विंग की स्थापना की गई है और वहां 800 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।
भारत ने नामीबिया को COVID-19 की वैक्सीन दी और सूखे जैसे संकट के समय चावल भेजकर मदद की। वहीं नामीबिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। दोनों देशों के बीच व्यापार भी तेजी से बढ़ा है, जो अब 654 मिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है।
नामीबिया यूरेनियम, लिथियम और जिंक जैसे खनिजों का बड़ा उत्पादक है, जिससे भारत को ऊर्जा सुरक्षा में मदद मिलती है। वहीं, चीता परियोजना में सहयोग के जरिए दोनों देशों की साझेदारी को नई पहचान मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों को भी व्यापक आयाम देने की ओर एक मजबूत कदम है। आने वाले समय में यह दौरा रणनीतिक साझेदारी, निवेश और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत कर सकता है।