
नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025
भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आधुनिक स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के साथ-साथ धर्मग्रंथों में वर्णित वे प्रेरक प्रसंग भी स्मरणीय हैं, जो स्वतंत्रता के गहरे और शाश्वत संदेश देते हैं। रामायण में माता सीता का लंका से मुक्त होना, भागवत में भगवान कृष्ण द्वारा 16,100 कन्याओं की सम्मानपूर्वक मुक्ति और वामन अवतार में राजा बलि को अधिकारों की पुनर्स्थापना—ये सभी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि स्वतंत्रता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य भी है।
भागवत और महाभारत में ऐसे अनेक प्रसंग मिलते हैं जो स्वतंत्रता के विविध रूप दिखाते हैं। नरसिंह अवतार में प्रह्लाद की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा, द्रौपदी के चीरहरण में कृष्ण का हस्तक्षेप, गजेंद्र मोक्ष और अहल्या उद्धार की कथाएं बताती हैं कि मुक्ति केवल शारीरिक बंधनों से ही नहीं, बल्कि भय, अपमान और अन्याय से भी जरूरी है। सुदामा की गरीबी से मुक्ति, पांडवों का वनवास समाप्त कर पुनः राजसत्ता प्राप्त करना और हनुमान जी का लंका में विद्रोह इन कथाओं को सामाजिक, आर्थिक और आत्मसम्मान की स्वतंत्रता से जोड़ते हैं।
ये प्रेरक गाथाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। यह हमें याद दिलाती हैं कि असली स्वतंत्रता आस्था, साहस और न्याय के लिए सतत संघर्ष में है। राष्ट्र की आज़ादी और व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति—दोनों की नींव सत्य और साहस पर टिकी है। स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर हमें न केवल अपने राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी सम्मान और न्याय के लिए सतर्क रहना चाहिए।