देहरादून, 04 फरवरी 2025:
उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। विशेष रूप से वूशु प्रतियोगिता में उत्तराखंड के लाल नीरज जोशी ने सिल्वर मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। नीरज जोशी का यह सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत एवं उत्तराखंड सरकार की खेल नीतियों से प्रेरणा लेकर उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है।
संघर्ष भरा रहा नीरज जोशी का सफर
हल्द्वानी निवासी नीरज जोशी के पिता, राजेश बल्लभ जोशी, एक किसान हैं जो खेती के माध्यम से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, नीरज ने वूशु में अपना करियर बनाने का सपना देखा और पिछले आठ वर्षों से देहरादून में प्रशिक्षण लेकर अपनी कला निखारी। हालांकि, आर्थिक तंगी और कई चोटों के कारण उनका खेल करियर कई बार संकट में आ गया।
• चुनौतीपूर्ण मोड़:
वर्ष 2022 में पैर की हड्डी टूटने के कारण नीरज ने हताशा महसूस की और खेल से दूर जाने का विचार भी मन में आया। लेकिन परिवार और कोच के समर्थन से उन्होंने हार नहीं मानी और वापसी की दिशा में कदम बढ़ाया।
• सफल वापसी:
वर्ष 2023 में नीरज ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर अपने खेल में सुधार किया। हालांकि, गोवा में हुए राष्ट्रीय खेल 2023 में सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें केवल पांचवें स्थान पर रहने का सामना करना पड़ा, जिससे अस्थायी निराशा हुई।
सरकार की घोषणाओं ने दिए नीरज के सपनों को पंख
नीरज जोशी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा खिलाड़ियों के लिए घोषित योजनाओं और प्रोत्साहनों ने उन्हें एक नई ऊर्जा प्रदान की है। राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं को नगद पुरस्कार और सरकारी नौकरी की घोषणा ने प्रदेश के खिलाड़ियों के उत्साह को और बढ़ा दिया है।
नीरज ने बताया, “सरकार की इन नीतियों से मुझे एक नई दिशा मिली है। इस प्रोत्साहन ने मेरे संघर्षों के बाद मुझे मैदान में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।” इसी प्रेरणा के साथ, नीरज ने 38वें राष्ट्रीय खेलों की वूशु स्पर्धा में हिस्सा लेकर सिल्वर मेडल जीतकर उत्तराखंड का नाम गौरवान्वित किया।
उत्तराखंड के खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन
38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के कई खिलाड़ियों ने पदक जीतकर प्रदेश को गौरवान्वित किया। नीरज जोशी का नाम इस सफलता में प्रमुख है, जिन्होंने वूशु स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर अपनी मेहनत और प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया। नीरज का मानना है कि उत्तराखंड सरकार की प्रोत्साहन राशि और सरकारी नौकरी की नीति से प्रदेश के खिलाड़ियों को नई दिशा मिली है, जिससे आने वाली पीढ़ी भी खेलों की ओर आकर्षित होगी और उत्तराखंड का नाम राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।
